टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार को राजनीति का पाठशाला माना जाता है, इस जमीन की तासीर ही कुछ ऐसी है. आपको इस भूमि पर वाम, समाजवादी, मुख्यमार्गी से लेकर दक्षिणपंथी तरह- तरह के फूल खिले मिलेंगे. लेकिन इसी बिहार की भूमि में एक और फूल का किस्म आपको खूब देखने को मिलेगा, वह फूल है सदाबहार की. यह एक ऐसा फूल है जो विचारधारा निरपेक्ष होती है, उसका विश्वास मूल्यों की निरपेक्षता में होता है. आप कह सकते हैं कि उसका अपना कोई रंग नहीं होता. वह अपनी सुविधा और अवसर देख कर हर रंग के साथ हो जाता है. उसमें खिचड़ी बनाने की महारत हासिल होती है.
कहा जाता है कि कुछ ऐसी ही खिचड़ी इन दिनों बिहार की राजनीति में पक रही है. इस खिचड़ी की सियासी तपिश ने बिहार में राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है, कुछ दिनों से पटना के चौंक चौराहों पर चटकारे ले लेकर इस खिचड़ी की बारीकियों का आनन्द लिया जा रहा है.
दिल्ली एम्स से गरमाई राजनीति
जी हां, हम बात कर रहें हैं जदयू नेता और पार्टी के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की. कुशवाहा इन दिनों दिल्ली एम्स में अपना इलाज करवा रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों का कयास यह है कि वह अपना इलाज नहीं, बिहार सरकार के इलाज के लिए दिल्ली में डेरा डाले हैं. माना यह जा रहा है कि कभी अपने मीठी खीर से बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा में रहने वाले उपेन्द्र कुशवाहा इन दिनों एक और सियासी खिचड़ी बनाने की जुगात में हैं.
भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल ने एम्स जाकर की मुलाकात
दरअसल यह चर्चा इसलिए चल पड़ी है, क्योंकि दिल्ली एम्स में उपेन्द्र कुशवाहा के भर्ती होते ही भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल, संजय टाइगर और योगेंद्र पासवान ने एम्स जाकर उनसे मुलाकात की है. खास बात यह रही कि यह मुलाकात गुप्त रूप से नहीं, बल्कि एक खास एजेंडे के तहत की गई. बाद में इसकी तस्वीर भी साझा की गयी. कहने को प्रेम रंजन ने कहा है कि यह मात्र एक औपचारिक मुलाकात थी, कुशल क्षेम की जानकारी लेने के लिए मिले थें, लेकिन राजनीति इतनी आसान कहां होती है?
महागठबंधन में अपना कद सिमटता महसूस कर रहे हैं उपेन्द्र कुशवाहा
यहां बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा भाजपा और एनडीए के पुराने सहयोगी रहे हैं, बिहार में महागठबंन के साथ मिलकर सरकार बनाने भी उनकी बड़ी भूमिका रही है, लेकिन सरकार बनने के अपना वह कद सिमटता महसूस कर रहे हैं. और यही स्थिति उन्हें आहत कर रही है. बीच-बीच में उनके द्वारा इसका संकेत भी दिया जा रहा है. उनकी मंशा बिहार के उपमुख्यमंत्री बनने की थी, उनका मानना था कि वह जदयू में सीएम नीतीश के बाद दूसरा सबसे बड़ा चेहरा हैं, उनका बड़ा सामाजिक आधार है, लेकिन अब उन्हें यह महसूस होने लगा है कि उन्हें उनके कद के अनुरुप सम्मान नहीं मिल रहा है.
आरसीपी सिंह और दूसरे साइड लाइन नेताओं को साथ लेकर भाजपा के साथ खड़ा होने की कोशिश
माना जाता है कि उपेन्द्र कुशवाहा की रणनीति आरसीपी सिंह और दूसरे साइड लाइन नेताओं को साथ लेकर भाजपा के साथ खड़ा होने की है, कोयरी, कुर्मी और दूसरे अतिपिछड़ी जातियों के कुछ नेताओं को साथ लाकर एक बार फिर से बिहार एक नयी सियासी खिचड़ी बनाने की है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
Recent Comments