दुमका(DUMKA):  कांग्रेस भवन में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने प्रेस वार्ता की. प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने भाजपा और निर्वाचन आयोग पर जमकर हमला बोला. प्रदीप यादव ने कहा कि चुनाव आयोग से एलेक्ट्रोनिक मांगा गया कि ये वोट किनके बढ़े, तो उन्होंने इसे देने से इनकार किया. 17 अगस्त से राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने यह लड़ाई शुरू कर दी है. राहुल गांधी के मतदाता अधिकार यात्रा में उमड़ी भीड़ से पता चलता है कि जनता समझ रही है कि भाजपा कहीं वोट बढ़ा कर अपनी सत्ता लानी चाहती है जैसा महाराष्ट्र में किया गया तो कहीं वोट को एसआईआर के माध्यम से काट कर वह सत्ता में आना चाहती है जैसा बिहार में शुरू किया गया है. बिहार के 65 लाख लोगों को वोट से वंचित किया जा रहा है.

प्रदीप यादव ने सुप्रीम कोर्ट के प्रति जताया आभार

 उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार जताते हुए कहा कि कल तक जो चुनाव आयोग यह कह रहा था कि किसके वोट कटे हैं, उसे बताने की जरूरत नहीं है, क्यों कटा यह भी बताने की जरूरत नहीं है. यह सब भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर कह रही थी, लेकिन जब जब सुप्रीम कोर्ट का कोड़ा लगा है, चेतावनी भी दी है तो अब सारी चीजें प्रकाशित की जा रही है.

संविधान विरोधी लोगों को करेंगे सत्ता से बाहर: प्रदीप

 उन्होंने कहा कि हम इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं. हर व्यक्ति को एक वोट का अधिकार संविधान ने दिया है जिसे हम बचाएंगे. यह संविधान बचान की लड़ाई है. यह लड़ाई लंबी होगी. ऐसे संविधान विरोधी लोगों को और वोट छीननेवाले लोगों को जब तक हम सत्ता से बाहर नहीं करेंगे तबतक यह लड़ाई चलती रहेगी.

झारखंड विधान सभा के सत्र में होगा SIR का विरोध

 झारखण्ड में 22 अगस्त से विधान सभा का सत्र शुरू होगा जिसमें पहला मुद्दा होगा एसआईआर का. हमसब एसआईआर का विरोध करेंगे. बिहार हो या झारखण्ड भाजपा के इशारे पर अपने विरोधी वोटरों को वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश है और इसका पर्दाफास भी हो चुका है.  

महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से हुआ संशय

 प्रदीप यादव ने कहा कि हम गांव के व्यक्ति को मजबुत करना चाहते हैं जबकि भाजपा सत्ता का केन्द्रीकरण करना चाहती है. बैंकों से राष्ट्र की संपत्ति तक एक-एक चीज का निजीकरण हो रहा है जो सत्ता के केन्द्रीकरण का उदाहरण है. जब देश आजाद हुआ तो कांग्रेस ने प्रत्येक व्यक्ति को एक वोट का अधिकार दिया. 21 से घटाकर 18 वर्ष वोट देने का अधिकार भी कांग्रेस ने दिया है. पैसे के बल पर भाजपा के सरकार और नेताओं ने मताधिकार को छीनकर उल्टा सरकार बना दिया. सबसे अधिक शंका और संशय महाराष्ट्र के चुनाव के नतीजों ने जन्म दिया. वहां माहौल कांग्रेस के पक्ष में था पर भाजपा को बहुमत मिल गया. वहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच यानि पांच माह के अंतराल में 39 लाख वोट बढ़ गये.