रांची(RANCHI): भारत के सबसे सफल कप्तान की जब भी बात होती है तो महेंद्र सिंह धोनी का नाम जरूर आता है. एक टिकट कलेक्टर से लेकर भारत को वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान की कहानी काफी प्रेरणा से भरी हुई है. क्रिकेट के इस खेल ने उन्हें नाम और शोहरत तो दिया ही. इसके साथ उन्होंने पैसा भी खूब कमाया. दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेटर में आज उनका नाम नाम टॉप 3 में आता है. उनकी संपत्ति की बात करें तो उनके पास लगभग 893 करोड़ की संपत्ति है. उनके पास दुनिया की महंगी-महंगी गाड़ियां हैं, सुपर बाइक का ऐसा कलेक्शन है, जो हर बाइकराइडर्स का ड्रीम होता है. मगर, इसके बावजूद धोनी का रहन-सहन और पहनावा एक आम आदमी के जैसे ही सादा रहा है.

आम अददमी के जैसे पहुंचे धोनी

धोनी के पास इतनी संपत्ति है कि वे छोटी-सी छोटी जरूरतों के लिए दुनिया की महंगी से महंगी चीजों को अफोर्ड कर सकते हैं. ऐसा ही हेल्थ को लेकर भी है. उन्हें अगर कुछ भी प्रॉब्लेम होती है तो वो दुनिया के सबसे बेस्ट और सबसे महंगे अस्पताल में इलाज करा सकते हैं. ऐसे में जब उन्हें घुटनों में दर्द हुआ तो वे किसी फाइव स्टार अस्पताल में जाने की बजाए रांची से 70 किलोमीटर दूर जंगल में एक वैद्य के पास गए. जहां धोनी के सिर्फ 40 रुपए खर्च हुए. वैद्य ने उन्हें दवाई दिया, धोनी ने उसे पिया और धोनी वहां से चले गए. इस दौरान कमाल की बात ये रही कि धोनी ने एक आम आदमी जैसे ही वैद्य से मिलने के लिए पर्ची ली और अपनी बारी आने का इंतजार किया.

धोनी के वैद्य के पास जाने से धोनी को कितना फायदा हुआ ये तो नहीं पता चल पाया है, मगर, जंगल के इस वैद्य की ज़िंदगी जरूर बदलती हुई दिखाई दे रही है. वैद्य के पास इलाज कराने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी है. लोग अपनी-अपनी बीमारी को लेकर वैद्य के पास इलाज कराने आ रहे हैं.

आयुर्वेद में भरोसा

वैद्य के पास उमड़ी लोगों की ये भीड़ शायद अपनी बीमारी से परेशान हो और उनके पास इलाज के लिए किसी अच्छे अस्पताल में जाने के लिए पैसे ना हो, हो सकता है. मगर, धोनी के पास तो सबकुछ था. ऐसे में धोनी सारी महंगी सुख सुविधाओं को छोड़कर यहां आए, ये काफी रोचक लगता है. क्योंकी आज के दौर में जहां अंग्रेजी ट्रीटमेंट में सभी बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता हैं, वहीं धोनी का वैद्य के पास इलाज कराना आयुर्वेद और जड़ी-बूटी इलाज पद्दती पर भी भरोसा कायम करता है. धोनी हमें बिन बोले ही बताना चाहते हैं कि आयुर्वेद से इलाज संभव है और इस पद्दती से इलाज कराने में लोगों को कोई शर्म या लज्जा नहीं होनी चाहिए.