TNP DESK: झारखंड में कई धार्मिक स्थल है , और हर जगह की अपनी अलग अलग धार्मिक मान्यता है. वही आज हम झारखंड के एक ऐसे भद्रकाली मंदिर के बारे में जानेंगे जहां मां काली सौम्य भद्र रूप में विराजमान है.आपको बताएं यह मंदिर तीन धर्म हिंदू,बौद्ध और जैन का संगम स्थल है जो इस मंदिर को खास बनाता है.

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते 

मां भद्रकाली मंदिर इटखोरी

इस श्लोक में जिस भद्रकाली का जिक्र किया गया है वहीं मां भद्रकाली मंदिर झारखंड के चतरा जिले में स्थित है.मंदिर पहाड़ो और जंगलो से घिरा और महानद नदी के तट पर स्थित है.आपको बताए मां के मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में पाल वंश के राजा महेंद्र पाल द्वारा कराया गया था. आपको बताएं इस मंदिर में तीनों धर्म का अनूठा संगम देखने को मिलता है. जहां सनातन धर्म की मां भद्रकाली तो भगवान बुद्ध की देवी मां तारा और जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतल नाथ जी का यह जन्मभूमि भी है.

धार्मिक महत्व और मान्यताएं

इस मंदिर में मां भद्रकाली की मूर्ति सबसे अलग है. जहां मंदिर में स्थापित मां भद्रकाली की मूर्ति 'गोमेद' पत्थर और अष्टधातु से बनाया गया है, जो उनकी दिव्यता और शक्ति का प्रतीक है.साथ ही अगर आप भी कभी इटखोरी के इस मंदिर में। दर्शन करने गए तो आपको यह परिसर में स्थित सहस्त्र शिवलिंग के दर्शन होंगे. जिसमें 1,008 छोटे शिवलिंगों की नक्काशी है, ओर यही इस मंदिर के विशेष आकर्षण का केंद्र है.यह विराजमान शिवलिंग के पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.साथ ही मंदिर परिसर में एक प्राचीन बौद्ध स्तूप भी है, जिसमें 104 बोधिसत्वों की मूर्तियां हैं. यह जगह बौद्ध धर्म के लिए भी मान्यत वाला स्थल है.वही यहां जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर शीतलनाथ के चरण चिन्ह भी पाए जाते हैं, जो इसे जैन धर्मावलंबियों के लिए भी पवित्र बनाते हैं.

कार्तिक अमावस्या पर भक्तों की भीड़

कार्तिक अमावस्या के दिन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है.जहां इस दिन मां भद्रकाली की विशेष पूजा की जाती है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.मान्यता है कि इस दिन मां की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है.

अमावस्या के शुभ अवसर पर मां के दर्शन 

मां भद्रकाली मंदिर, इटखोरी न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक यह का इलाज धर्मी महत्व भी है . तो देर किस बात की इस कार्तिक अमावस्या के शुभ अवसर पर आप भी इस पवित्र स्थल की यात्रा का आध्यात्मिक शांति और मां भद्रकाली का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.