रांची (RANCHI): पूर्वी भारत के प्रतिष्ठित न्यूरोलॉजिकल संगठन एसोसिएशन ऑफ न्यूरोसाइंटिस्ट्स ऑफ ईस्ट इंडिया (ANEI) का वार्षिक सम्मेलन हाल ही में असम के दिब्रूगढ़ में आयोजित हुआ. इस सम्मेलन में देशभर के नामचीन न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने भाग लिया.

इस अवसर पर ANEI के अध्यक्ष और प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. संजय कुमार ने प्रतिष्ठित ‘प्रेसिडेंशियल ओरेशन (Presidential Oration)’ प्रस्तुत किया, जो सम्मेलन का मुख्य आकर्षण रहा. उन्होंने अपने संबोधन में “Past, Present and Future of Brain Stroke Surgery” विषय पर विस्तृत चर्चा की.

डॉ. संजय कुमार ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मस्तिष्क स्ट्रोक सर्जरी के उपचार में बड़े परिवर्तन हुए हैं और भविष्य में Artificial Intelligence (AI) इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है. उन्होंने कहा कि AI तकनीक से न केवल सर्जिकल प्रिसिशन (सटीकता) बढ़ेगी, बल्कि मरीजों के इलाज के परिणाम भी और अधिक बेहतर होंगे.

उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में AI आधारित स्ट्रोक मैनेजमेंट सिस्टम डॉक्टरों को तुरंत निर्णय लेने और मरीज़ों को जीवनरक्षक उपचार प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएगा. साथ ही उन्होंने सहयोगात्मक अनुसंधान (Collaborative Research) की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि विज्ञान और चिकित्सा तभी सार्थक हैं जब उसका लाभ आम मरीज तक पहुंचे.

डॉ. कुमार ने कहा, “हमें ऐसा स्वास्थ्य तंत्र बनाना होगा जो सुलभ, सटीक और प्रभावी हो, ताकि हर मरीज़ को आधुनिक तकनीक का लाभ मिल सके.”

ANEI का यह वार्षिक सम्मेलन हर साल अलग-अलग राज्यों में आयोजित किया जाता है. इसका उद्देश्य न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में नई जानकारियों का आदान-प्रदान, अनुसंधान को प्रोत्साहन और चिकित्सा उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है.

कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने डॉ. संजय कुमार के विचारों को प्रेरणादायक और दूरदर्शी बताया. उनका संबोधन सम्मेलन का सबसे चर्चित सत्र रहा, जिसने उनके नेतृत्व, गहन ज्ञान और चिकित्सा क्षेत्र में योगदान को सम्मानित किया.

सम्मेलन के अंत में यह घोषणा की गई कि अगले वर्ष का वार्षिक सम्मेलन झारखंड में आयोजित किया जाएगा. यह निर्णय राज्य के चिकित्सा जगत के लिए गौरवपूर्ण अवसर साबित होगा, जिससे झारखंड को न्यूरोसाइंस अनुसंधान और नवाचार का नया मंच मिलेगा. ANEI की यह वार्षिक बैठक पूर्वी भारत के न्यूरोसाइंस समुदाय के लिए एक अहम मंच साबित हुई, जिसने ज्ञान-साझाकरण और चिकित्सा तकनीक में नए आयाम स्थापित किए.