दुमका(DUMKA): सावन का पावन महीना आने वाला है. जब भी सावन महीने की बात होती है तो लोगों के जेहन में सबसे पहले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का ख्याल आता है. प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में शिव भक्त बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर पैदल द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल देवघर के बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करते हैं, उसके बाद दुमका के बासुकीनाथ स्थित फौजदारी दरबार पहुंचकर बाबा बासुकीनाथ की पूजा अर्चना करते हैं. राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक एक महीने तक चलने वाले राजकीय श्रावणी मेला को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करती है.
12 जुलाई से शुरू होगा श्रावणी मेला, शिवगंगा की सफाई का कार्य युद्धस्तर पर जारी
12 जुलाई से श्रावणी मेला की शुरुआत होगी. मेला की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रहा है. इसी कड़ी में बासुकीनाथ धाम स्थित शिवगंगा की सफाई का कार्य भी जोर-शोर से चल रहा है. देवघर के बाद बासुकीनाथ आने वाले शिव भक्त पहले शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं उसके बाद फौजदारी बाबा पर जलार्पण करते हैं. श्रद्धालुओं को शिवगंगा का स्वच्छ जल मिले इस उद्देश्य से दो वर्ष बाद शिव गंगा की सफाई हो रही है.
शिवगंगा की सफाई मतलब पाताल बाबा शिवलिंग के दर्शन
जब भी बासुकीनाथ स्थित शिवगंगा की सफाई की बात आती है तो लोगों के जेहन में यह आता है कि पाताल बाबा का भी दर्शन होगा. शिवगंगा के मध्य में लगभग 15 फीट गहरी कुंड में पाताल बाबा शिवलिंग है. लोगों की गहरी आस्था पाताल बाबा से जुड़ी है. यही वजह है की शिव गंगा की सफाई के वक्त जब पाताल बाबा का दर्शन होता है तो उसे देखने दुमका ही नहीं आसपास के लोगों का तांता लगा रहता है. ऐसा दृश्य उभर कर सामने आता है मानो सावन से पहले ही शिव भक्तों का काफिला बासुकीनाथ धाम पहुंचने लगा है
मौसम विभाग की भविष्यवाणी से पाताल बाबा के दर्शन पर संशय
बासुकीनाथ धाम स्थित शिवगंगा की सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. कई मोटर लगा है जो दिन रात शिवगंगा के पानी को बाहर निकाल रहा है. लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी ने पाताल बाबा के दर्शन पर संशय उत्पन्न कर दिया है. मौसम विभाग ने दुमका सहित पूरे झारखंड में मूसलाधार वर्षा की संभावना जताई है. ऐसे में यह सवाल उभर कर सामने आता है कि क्या इस वर्ष पाताल बाबा का दर्शन शिव भक्त कर पाएंगे? यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि शिवगंगा की सफाई के क्रम में पहले उसके पानी को मोटर लगाकर बाहर निकाला जाता है. उसके बाद शिवगंगा में जमे गाद कीचड़ को धूप में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. सूखने के बाद कीचड़ को शिव गंगा से निकाल कर बाहर फेंका जाता है. उसके बाद मोटर के माध्यम से शिवगंगा में जल भरा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 15 20 दिनों का समय लगता है. यही वह समय होता है जब शिव भक्त बासुकिनाथ धाम पहुंच कर फौजदारी बाबा के साथ साथ पाताल बाबा के दर्शन और पूजन करते है. लेकिन जिस तरह से मौसम विभाग ने पूर्वानुमान किया है उसे देखते हुए शिवगंगा स्थित पाताल बाबा के दर्शन पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं
पाताल बाबा की महिमा है अपरंपार, जानिए क्या है किंवदंती
शिवगंगा स्थित पाताल बाबा शिवलिंग के बारे में किंवदंती है कि जब शिव गंगा की सफाई होती है तो पाताल बाबा के दर्शन और पूजन होता है. कहा जाता है कि शिवगंगा की सफाई के बाद जल भरने की प्रक्रिया शुरू होते समय शिवलिंग का पूजन किया जाता है. बरसों बाद जब फिर शिवगंगा की सफाई होती है तो पूजन सामग्री यथावत रहता है. फूल, वेलपत्र, अबीर, गुलाल देख कर ऐसा लगता है मानो अभी पूजन हुआ हो. शिवलिंग के पास रखें लकड़ी का चरण पादुका और त्रिशूल भी अपने स्थान पर यथावत रहता है. वर्षों तक जल में डूबा रहने के बाबजूद उस पर ना तो काई जमता है और ना ही जंग लगता है. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि लकड़ी का बना चरण पादुका जो अमूमन पानी की सतह पर आ जाना चाहिए लेकिन वह कुंड में अपने स्थान पर ही रहता है. ऐसी मान्यता है की बासुकीनाथ शिवलिंग के साथ-साथ पाताल बाबा शिवलिंग की पूजा अर्चना से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
एक तरफ 12 जुलाई से श्रावणी मेला की शुरुआत, शिवगंगा की सफाई और मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मद्देनजर पाताल बाबा अपने भक्तों को दर्शन देते है या नहीं फिलहाल इसपर संशय बरकरार है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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