रांची(RANCHI): इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम हर तरफ अक़ीदत के साथ मनाया जा रहा है. हर तरफ मरसिहा और नौहा सुनाई दे रहा है. आज यानि शनिवार को 9 मोहर्रम है. इस दिन सुन्नी समुदाय के द्वारा जुलूस निकाला गया. तो दूसरी ओर देर रात कई इमाम बारगाह में आग मातम शिया समुदाय के लोगों ने किया. इस बीच इस दृश्य को देखने के लिए दूर दूर से लोग पहुंचते है.अगर बात हुसैनाबाद की करें तो यहाँ का मोहर्रम देखने के लिए बिहार से भी लोग पहुंचते है. ब्लेड-जंजीर और आग मातम कर शिया समुदाय के लोग मोहर्रम मना रहे है.
शुक्रवार की देर रात पलामू के हुसैनाबाद में इमाम बारगाह परिसर में इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करते हुए शिया समुदाय के लोगों ने आग और जंजीर मातम किया. धधकते अंगारे पर चल कर हुसैन का मातम मनाया. इस अंगारे पर बच्चे बूढ़े जवान सभी एक एक कर मातम करते हुए गुजरते है. इस दृश्य को देखने के लिए हुसैनाबाद में दूर दूर से लोग पहुंचते है.
अब कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर मातम क्यों किया जाता है. ऐसे में शिया समुदाय के लोग बताते है कि कर्बला की जंग में इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद करने के बाद यजीद ने उनके घरों को आग के हवाले कर दिया था. उस घर में नन्हे बच्चे थे, औरते थी इसके बावजूद आग लगा दिया. यजीद ने बच्चों पर चाबुक चलाया था.
साथ ही जंजीर मातम करने की वजह को बताया कि जिस तरह से बर्बरता की सारी हदे यजीद ने पार किया था. नन्हे बच्चे को तीर मार कर शहीद कर दिया. तो अगर इस समय हमलोग रहते तो यजीद का सामना पहले हम लोग करते. जो खंजर मारा गया वह खंजर खुद पर लेते. इसलिए आज के दिन हमलोग इसे मातम करके मनाते हैं
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