TNP DESK- झारखंड के सारंडा जंगल को नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता जाता है. इसके पीछे की वजह क्या है यह जब आप जानेंगे तो चौंक जाएंगे. जिस तरह से बॉर्डर पर युद्ध के दौरान सेना के जवानों की तैयारी होती है कुछ इस अंदाज में इस जंगल में युद्ध जैसे माहौल पर कैसे बचाना है उसकी तैयारी नक्सलियों ने की है. यही वजह है कि लंबे अभियान के बाद अब भी नक्सली इस जंगल में मौजूद है और कई बार ब्लास्ट कर सुरक्षा बल के जवानों को टारगेट कर देते हैं. नक्सलियों के इंतजाम के बारे में जब डीजीपी को जानकारी लगी तो वह भी चौंक गए.
दरअसल इस जंगल में सखुआ के पेड़ सबसे ज्यादा है और एशिया में अपना स्थान रखता है. लेकिन उस जंगल में कई जानवर तो है ही साथ ही बड़े कुख्यात माओवादी भी है जिनका डेरा सारंडा के जंगल में है और यहां पर समानांतर व्यवस्था चलती है. जितने बड़े माओवादी हैं उनका ठिकाना उस जंगल में बताया जाता है. इस जंगल में विशेष अभियान चल रहा है तो इसमें नक्सलियों तक पहुंचने के लिए लगातार सुरक्षा बल के जवान आगे बढ़ रहे हैं. जंगल में सुरक्षा बल के जवानों को कई कठिनाई हो रही है और साथ ही नक्सली जो पूरे तैयारी के साथ जंगल में बैठे हैं वह सुरक्षा बल के जवानों को देखते ही हमला करते हैं. आईईडी ब्लास्ट कर देते हैं तो गोली चलाने लगते हैं.
लेकिन अब डीजीपी खुद तमाम अभियान की मॉनीटरिंग कर रहे हैं और निर्णायक लड़ाई को लेकर सुरक्षा बलों का हौसला बढ़ाते हुए आगे बढ़ा रहे हैं. इसमें जंगल में हर दिन नई-नई चीज देखने को मिल रही हैं.नक्सली कैसे रहते हैं और आखिर इतने लंबे समय से कैसे सारंडा ही सिर्फ जोन बन गया.
डीजीपी ने क्या बताया, जानिए
इस मामले में डीजीपी ने बताया कि अभियान में लगातार आगे बढ़ रहे हैं और नक्सली पीछे हट रहे हैं. जंगल काफी बड़ा है यही वजह है कॉम तक पहुंचने में थोड़ा समय लगा लेकिन अब उनके करीब हैं और नक्सलियों के रहने से लेकर युद्ध जैसी जो स्थिति अंदर में बनाई गई थी उस पर सुरक्षा बल के जवानों का कब्जा है 16 बंकर मिले हैं. बंकर के अंदर रहने खाने से लेकर अस्पताल चलाया जा रहा था. साथ ही ईद बम और अन्य बम का भी निर्माण बंकर के अंदर होता था. लेकिन अब जिस तरह से चौतरफा कार्रवाई हो रही है इसमें हर दिन नक्सलियों को चोट पहुंचाया जा रहा है. कई बड़ी सफलता इस जंगल में मिली है.
सारंडा जंगल में कई सुरक्षाबलों और ग्रामीणों की गई जान
इन सबके बीच अगर देखे तो सारंडा का इलाका 800 से अधिक वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जंगल काफी घना है और इस जंगल के जो खतरनाक इलाके हैं उसमें जराइकेला रंगरा टोटो सोनूया,जतीय, गुड्डी और तुंबाहाता यह ऐसे जंगल हैं जहां की जमीन में मौत बिछी हुई है. इस जंगल में सुरक्षा बल के जवान तो शहीद हुए ही है. लेकिन आम लोग आम ग्रामीण भी अपनी जान गवा चुके हैं जिनकी संख्या करीब 22 के करीब है. कई बार मोटरसाइकिल से भी अभियान में निकले जवान आईडी बम का शिकार हो जाते हैं.
सारंडा जंगल में बड़े बड़े इनामी नक्सलियों का बसेरा
इस जंगल में 60 से अधिक बड़े इनामी नक्सली है जिन पर करोड़ों का इनाम है. कोल्हान में नक्सलियों के बड़े नेताओं का डेरा है. बूढ़ा पहाड़ के बाद कोल्हान ही एक मात्र ऐसी जगह थी जहां नक्सलियों ने अपने मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. एक करोड़ की इनामी नेताओं का भी बसेरा उस जंगल में है. सूत्रों की माने तो इस जंगल में मिस्र बेसरा जिस पर एक करोड़ का इनाम है, अनमोल द टेक विश्वनाथ माचू चमन कांदे अजय महतो सेज अंगरिया और अश्विन जैसे कुख्यात नक्सली कमांडर मौजूद है जिनके पास गोरिल्ला जवान के नक्सली की सुरक्षा में तैनात रहते हैं.
बताया जाता है कि नक्सलियों के पास अब ज्यादा हथियार नहीं बचा है. आईडी ही उनका आखिरी सहारा है क्योंकि पूरे जंगल की घेरा बंदी कर दी गई है और उन तक कोई हथियार अब नहीं पहुंच रहा है. तो बचे हुए आईडी से ही अपनी जान बचा रहे हैं जिससे नुकसान सुरक्षा बल के जवानों के साथ-साथ जंगल में लकड़ी चुनने जाने वाले गरीब लोग होते हैं ऐसे में अब जिस तरह से नक्सलियों पर कार्रवाई हो रही है तो वह दिन दूर नहीं होगा जब इस जंगल को भी झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ फतह कर लेगी.
रिपोर्ट: समीर हुसैन
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