पटना(PATNA):फिल्मी पटकथाओं जैसी यह हैरतअंगेज सच्ची घटना पटना जिले के धनरुआ प्रखंड अंतर्गत मुस्तफापुर गांव की है, जहां आपसी कलह का बदला लेने के लिए एक सरकारी कर्मचारी पति ने अपनी पत्नी को 'कागजों पर' मृत घोषित कर दिया. इसका मकसद था कि पत्नी को पेंशन का कोई लाभ न मिले. जब इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ, तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई और प्रशासन हरकत में आ गया.

पति ने लिया 'कागजी बदला'

निशा कुमारी नामक महिला के जीवन में उस वक्त भूचाल आ गया जब उसे यह पता चला कि कागजों में वह वर्षों पहले ही मर चुकी है.उसके पति शिवरंजन कुमार, जो एक सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं, ने आपसी रिश्तों में आई कड़वाहट के चलते पत्नी को मरा हुआ दिखाकर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया. इस प्रमाण पत्र के जरिए शिवरंजन ने यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में पत्नी को किसी प्रकार की सरकारी पेंशन या लाभ न मिल सके.

अफसरों और ग्रामीणों की मिलीभगत

इस सनसनीखेज मामले में गांव के मुखिया, पंचायत सचिव और यहां तक कि आंगनबाड़ी सेविका की संलिप्तता सामने आई है. चार ग्रामीण हरिराम शर्मा, उदय शर्मा, राधेश्याम और किरण देवी गवाह बने और सभी ने मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को वैधता दी.पंचायत सचिव दीपू यादव ने प्रमाण पत्र जारी करने की अधिसूचना पर दस्तखत कर इस 'झूठी मृत्यु' को कानूनी मुहर भी लगा दी.

पोल खुली बीएलओ के कारण

इस मामले की परत तब खुली जब मतदाता सूची अपडेट करने के सिलसिले में बीएलओ निशा कुमारी के घर पहुंचे.उन्होंने जब बताया कि दस्तावेजों में वह मृत घोषित हैं, तो निशा और उसके परिवार के होश उड़ गए.तुरंत ही आरटीआई दायर कर सच्चाई जानने की प्रक्रिया शुरू की गई.

आरटीआई से खुला राज

निशा कुमारी ने आरटीआई के ज़रिए जब पूरी फाइल निकाली, तो पता चला कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए उसके पति ने खुद आवेदन दिया था.इसके बाद इस बात की पुष्टि हुई कि गांव के कई लोग और पंचायत के जिम्मेदार कर्मी भी इस झूठ में भागीदार बने थे.

प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई

निशा कुमारी ने इस पूरे मामले की शिकायत धनरुआ बीडीओ सीमा कुमारी से की.उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आदेश जारी किया और कहा कि शामिल सभी गवाहों, पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मियों को नोटिस भेजा जा रहा है. दोषियों पर कठोर कार्रवाई तय मानी जा रही है.

गांव में मचा हड़कंप

जैसे ही यह मामला सामने आया, पूरे मुस्तफापुर गांव में हलचल मच गई. लोग यह सोचने को मजबूर हो गए कि किसी जीवित व्यक्ति को 'कागजों पर मार देना' अब इतना आसान हो गया है.यह मामला सिर्फ पारिवारिक कलह नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र के दुरुपयोग की भी एक चौंकाने वाली मिसाल बन गया है.