रांची(RANCHI): झारखंड में भाषा का विवाद दिन ब दिन और बढ़त जा रहा है. इस मामले में सियासत की गलियारियों में भी खूब रोटियाँ सेकि जा रही हैं, भाषा विवाद तो मानो विपक्ष के लिए एक सुनहरा मौका साबित हो रहा है, राज्य सरकार पर तंज कसने का. ऐसे में भाजपा के पूर्व विधायक भानु प्रताप शाही तो इस विषय पर लगातार सरकार पर तंज कस रहे थे, और अब इस कड़ी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मारंडी, साथ ही प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक अमित कुमार मंडल भी हिस्सा लेते नज़र आ रहे हैं. हालही में बाबूलाल मारंडी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जेटेट भाषा नियमावली बनाकर राज्य सरकार जानबूझकर भाषा विवाद उत्पन्न करना चाहती है.
साथ ही प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक अमित कुमार मंडल ने कहा कि सरकार जानबूझकर राज्य में भाषा विवाद उत्पन्न कर रही है और झारखंड को दीक भ्रमित कर रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड के गोड्डा में अंगिका और कुडमाली, पलामू में भोजपुरी और खूंटी में मुंडारी भाषा के बहुसंख्यक लोग हैं, इसके बावजूद इन सभी जिलों में जेटेट भाषा नियमावली बहुसंख्यक बोली जाने वाली भाषाओं को हटा दिया गया है. अमित कुमार मंडल ने ये भी कहा है कि भाषा नियमावली के अंतर्गत गोड्डा में अंगिका को पहले जगह मिली थी, लेकिन इस बार अंगिका भाषा को हटा दिया गया है.
दरअसल झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली 2025 के तहत, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की लिस्ट में पलामू और गढ़वा के लिए नगपुरी और कुड़ुख भाषा को चयनित किया गया है, जबकि इन जगहों पर मुख्यतः भोजपुरी और मगही जैसी भाषाएँ बोली जाती हैं. अब इसी बात का विरोध हो रहा है.
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