रांची (RANCHI): झारखंड के प्रसिद्ध सारंडा वन क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (Wildlife Sanctuary) घोषित किया जाए. 

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 13 नवंबर को यह आदेश जारी किया. न्यायालय ने राज्य सरकार के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने 31,468.25 हेक्टेयर के स्थान पर केवल 24,941 हेक्टेयर क्षेत्र को सैंक्चुअरी घोषित करने की अनुमति मांगी थी.

चार हफ्ते में पूरा करना होगा अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह चार हफ्तों के भीतर सैंक्चुअरी घोषित करने की अधिसूचना जारी करे. कोर्ट ने कहा कि सारंडा क्षेत्र देश की पारिस्थितिक धरोहर है और इसका संरक्षण राष्ट्रीय हित में आवश्यक है.

राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया था कि यदि पूरे 31,468 हेक्टेयर को सैंक्चुअरी घोषित किया गया तो स्थानीय आदिवासी समुदाय के जनजीवन पर असर पड़ेगा, और वहां बने स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र जैसी संरचनाएं बेकार हो जाएंगी. साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि SAIL के खनन कार्यों पर रोक लगने से राज्य की आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होंगी.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और स्पष्ट कहा कि प्राकृतिक संरक्षण को आर्थिक तर्कों से कम नहीं आंका जा सकता.

आदिवासियों के अधिकार रहेंगे सुरक्षित

फैसले में अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह जनता के बीच व्यापक जागरूकता अभियान चलाए, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि इस निर्णय से आदिवासियों के अधिकार और हित प्रभावित नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Forest Rights Act (FRA) के तहत जंगलों में रहने वाले लोगों और आदिवासी समुदाय के परंपरागत अधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे.

सारंडा वन क्षेत्र को लेकर मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था. 27 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह पूरे 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को ही वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी घोषित करे, ताकि वहां की समृद्ध जैव विविधता और पारिस्थितिकी को संरक्षित किया जा सके. यह फैसला न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में वन संरक्षण और पर्यावरण नीति के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है.