TNP DESK- आज दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पारंपरिक श्राद्ध कर्म का 10वाँ दिन है.  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने परिजनों संग दिवंगत आत्मा की शांति के लिए पारंपरिक विधान पूरा किया. इसके बाद परिवार की वरिष्ठ सदस्य दीपमनी सोरेन के साथ श्राद्ध-कार्यक्रम से संबंधित सलाह-मशविरा हुआ. 

वहीं शिबू सोरेन के निधन के बाद नेमरा और दिशोम गुरु शिबू सोरेन गूगल पर सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाले शब्द बन गए हैं. हर कोई गुरुजी के जीवन के संघर्षों और झारखंड आंदोलन में उनकी भूमिका को जानना चाह रहा है. शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक थे और उन्होंने झारखंड के विकास और आदिवासियों के हक की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

शिबू सोरेन को देश और खासकर झारखंड की जनता 'दिशोम गुरु' यानी 'जनजातीयों के गुरु' के नाम से जानती है, वह केवल एक राजनेता नहीं बल्कि एक युगद्रष्टा, एक आंदोलनकारी और एक सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे. हाल ही में जब उनका निधन हुआ तो हर कोई गुरुजी के बारे में जानने की इच्छा जता रहा है. यही वजह की लोग उनके बारे में जानने के लिए उन्हें लगातार गूगल पर सर्च कर रहे हैं. जिसके कारण अभी गूगल पर सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला शब्द  दिशोम गुरु शिबू सोरेन और उनका पैतृक गांव नेमरा है. 

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड (तत्कालीन बिहार) के हजारीबाग के नेमरा गांव में हुआ था.जो अब रामगढ़ जिला में है. वह संथाल जनजाति से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता सोबरा सोरेन एक किसान थे और उन्होंने शोषण व अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की कीमत अपनी जान देकर चुकाई थी. अंग्रेजों और बाहरी जमींदारों के अत्याचार से पीड़ित इस परिवार ने बहुत कष्ट झेले, और यही वह बीज थे, जिससे आगे चलकर एक क्रांतिकारी नेता का जन्म हुआ.