धनबाद(DHANBAD) - देश का 32% कोयला और 25% कॉपर झारखंड में है. झारखंड के गर्भ में सोने की खदानें  भी हैं, फिर भी झारखंड अपनी बदहाली पर आठ-आठ  आंसू बहाता रहा है, वजह बहुत कुछ गिनाया  जा सकता है. लेकिन मुख्य कारण यहां के जनप्रतिनिधि और पॉलिटिकल पार्टियां है. राजनीतिक दल झारखंड को तो अपनी 'राजनीतिक प्रयोगशाला'  बनाकर केवल प्रयोग करती है. देश में झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां हर काम अजूबा होता है.  यह चर्चा अभी इसलिए हो रही है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में 2013 में जो संशोधन के  बाद झारखंड के कम से कम पांच माननीयों  की  सदस्यता चली गई है या जाने वाली है.  

सब पर नहीं था भ्रष्टाचार का आरोप

हालांकि सब पर भ्रष्टाचार का ही आरोप नहीं था.  जिन विधायकों की अब तक सदस्यता गई है उनमें लोहरदगा के विधायक कमल किशोर भगत (अब स्वर्गीय) कोलेबिरा के विधायक एनोस एक्का ,सिल्ली  के विधायक अमित महतो,  गोमिया के विधायक योगेंद्र महतो शामिल है. मांडर  के विधायक बंधु तिर्की को भी सजा हो गई है ,सदस्यता खत्म होने की केवल औपचारिकता बाकी  है. बंधु तिर्की तो जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीते ,उसके बाद बाबूलाल मरांडी का साथ छोड़कर कांग्रेस में आ गए.  कांग्रेस ने उन्हें आदिवासी चेहरा बनाने का भरपूर प्रयास किया और उन्हें प्रदेश में कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया  लेकिन आय से अधिक संपत्ति मामले में कोर्ट से उन्हें सजा मिल गई है. 

बंधु तिर्की की सदस्यता खत्म होने की केवल औपचारिकता  बाकी

 सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता खत्म होने की केवल औपचारिकता ही बाकी है.  बात यहीं खत्म नहीं होती है, दो  विधायकों भानु प्रताप शाही (भाजपा) और कमलेश सिंह (एनसीपी) के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सीबीआई कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. मुकदमों में वर्तमान में अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत किए जा रहे है. विधायक  भानु प्रताप शाही पर चार साल चार महीने में ज्ञात आय लगभग सात करोड़ से अधिक की सम्पति अर्जित करने का आरोप है. वही कमलेश सिंह पर ज्ञात आय से चार करोड़ से अधिक अर्जित करने का आरोप है.अकेला विधायक होकर  प्रदेश का  मुख्यमंत्री संभालने वाले मधु कोड़ा पर भी मुकदमा लंबित है. 

रिपोर्ट :सत्य भूषण ,धनबाद