टाटा स्टील लीजधारक है, मालिक नहीं—जुबिली पार्क की सड़क जल्द खुलवाए प्रशासन, नेता राजनीति बंद कर गोलबंद हों, नहीं खुली सड़क तो सुधीर कुमार पप्पू दायर करेंगे हाई कोर्ट में पीआईएल

हैरानी की बात है कि आज जमशेदपुर प्रशासन को उसका पावर औऱ टाटा स्टील को उसकी जिम्मेदारी बतानी पड़ रही है,इतना ही नहीं नेताओं को भी याद दिलाना पड़ रहा है कि शहर के मुद्दों पर राजनीति न कर जनता के हित में गोलबंद हो जाएं. लेकिन जब जरूरी हो चला है तो ‘द न्यूज पोस्ट’ उसे बताएगा.आखिर  टाटा स्टील की सब्सिडियरी कंपनी औऱ टाटा कमांड एरिया में नागरिक सुविधाएं प्रदान करनेवाली जुस्को का भी तो यही नारा चारों तरफ रहता है—‘जिम्मेदार शहर जिम्मेदार नागरिक’. फिर ये भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं. 
कोरोना के बहाने मार्च 2020 से जुबिली पार्क को बंद कर दिया गया. चलिए कोई बात नहीं ये सबके हित की बात थी, लेकिन जब पूरे देश औऱ राज्य में पार्क खुल गए तब भी जुबिली पार्क नहीं खुला, काफी हो हल्ले के बाद इस साल जब पार्क खोला गया तो आधार कार्ड दिखाने का तुगलकी फरमान जारी हो गया. इतना ही नहीं बहुत कम समय के लिए पार्क को खोलते हुए प्रवेश द्वार पर ऐसा बैरियर लगाया गया जिसके नीचे झुकने से भी ज्यादा लगभग बैठकर लोगों को पार होना पड़ रहा था. ये दृश्य काफी हास्यास्पद था लेकिन ऐसा हो रहा था. इसको लेकर मीडिया आवाज उठाने लगा. शहर के लोगों को वरिष्ठ पत्रकार छोटकू भैया का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने जुबिली पार्क के भीतर की बंद की गई सड़क को खोदकर घास लगाने की तैयारी की फोटो खींच ली और वो वायरल हुई. यानि टाटा स्टील ने पूरी तैयारी मनमानी की कर ली थी औऱ लोगों की परेशानियों को दरकिनार करते हुए सड़क को हमेशा के लिए बंद कर ही दिया था, लेकिन भला हो जमशेदपुर पूर्वी के विधायक

सरयू राय का जिन्होंने तत्काल इस पर संज्ञान लेते हुए जुबिली पार्क का दौरा शुरू किया.

बैठकर  और झुककर बैरियर  के नीचे से जुबिली पार्क में प्रवेश करते विधायक सरयू राय की वीडियो वायरल हो गई. जब सरयू राय जुबिली पार्क पहुंचे तब लोगों ने उनको घेरकर धन्यवाद दिया कि कोई तो है जिसने जनता की परेशानी को समझा. बाकी सभी नेताओं को सांप सूंघा हुआ है. सरयू राय तकनीकी जानकार हैं औऱ टाटा स्टील की मनमानी को कैसे नियंत्रित करना है बखूबी जानते हैं. लीज रूल की टाटा कहां धज्जियां उड़ा रहा है इसका पूरा चिट्ठा सरयू राय के पास है. उन्होंने प्रशासन से मांग की कि बैरियर हटाया जाए, आधार कार्ड का तुगलकी फरमान वापस लिया जाए,सड़क खोदकर घास बिछाने के काम पर तत्काल रोक लगाई जाए औऱ सड़क को पूर्व की भांति खोल दी जाए. सड़क खोदने का फोटो छोटकू भैया से मिलने के बाद ही डीसी सूरज कुमार ने जुस्को को रिस्टोरेशन कर सड़क की पूर्व स्थिति बहाल करने का आदेश दे दिया था. 


लेकिन सवाल है कि ऐसी नौबत कैसे आ गई?टाटा को ऐसी मनमानी करने की हिम्मत कौन दे रहा है?

क्या ज्यादातर नेताओं की चुप्पी औऱ प्रशासन की कमजोरी का फायदा उठाकर ये मनमानी हो रही है? अगर ऐसा है तो ये शहर के लिए बहुत चिंता की बात है.बहरहाल सरयू राय की दखलअंदाज़ी के बाद आधार कार्ड की बाध्यता समाप्त हुई औऱ सड़क को रिस्टोर करने पर काम शुरू हो गया.सरयू राय को कहा गया कि बैरियर हटेगा औऱ सड़क खुलेगी. फिलहाल सबको इंतजार है कि आगे टाटा और प्रशासन क्या रूख अपनाता है.
अब आईए आपको जुबिली पार्क की कानूनी औऱ भावनात्मक पहलू के बारे में बताते हैं.


जुबिली पार्क का टाटा मालिक नहीं महज लीजधारक है, 1958 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने जनता को सौंपा था.


जुबिली पार्क से जमशेदपुर के लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं. 1958 में 50 साल पूरे होने पर गोल्डेन जुबिली समारोह के तहत टाटा ने शहरवासियों को जुबिली पार्क का तोहफा दिया था. तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने इसे जनता को सौंपा था, तब से ये पार्क शहरवासियों के लिए खास रहा.यहां तक कि मूल रूप से जमशेदपुर के रहनेवाले  मशहूर फिल्म निर्देशक इम्तियाज़ अली औऱ फिल्म अभिनमेता आऱ माधवन वगैरह आज भी किसी महफिल में अपनी पुरानी यादों में जुबिली पार्क का जिक्र करना नहीं भूलते.टाटा स्टील के संस्थापक जे एन टाटा की मूर्ति पर श्रद्धआंजलि देने और देखने के लिए दूर दराज से लोग यहां आते हैं. यहां जमशेदपुर के साकची को सोनारी , सर्किट हाउस औऱ आगे के इलाकों से जोड़नेवाली एक सड़क है जिसके दोनों ओऱ पार्क बनाया गया था.. सालों से निर्बाध गति से इस सार्वजनिक सड़क का प्रयोग लोग, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी करते रहे. दिन में कई बार प्रशासनिक अधिकारी यहां से आना जाना करते हैं 

ऐसे में सुरक्षा औऱ पर्यावरण का हवाला देकर कैसे सड़क बंद की जा सकती है.

जब इतने महत्वपूर्ण लोग आना जाना कर रहे हैं तब तो ये सबकी नजर में है. असुरक्षित तो बंद करने पर होगा. पार्क के पास ही डीसी, एसपी औऱ तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के बंग्लो हैं लेकिन अब वे इस सड़क का उपयोग नहीं कर पा रहे.यहां ये याद दिलाना जरूरी हो गया है कि टाटा स्टील जुबिली पार्क का मालिक नहीं बल्कि लीजधारक है जिसे मेंटेन(रखरखाव) करना है. कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी प्रशासन की है. टाटा लीज के मुताबिक जुबिली पार्क फ्री जोन में आता है लेकिन उसकी अवहेलना करते हुए वहां निक्को पार्क, लेजर शो औऱ जू के माध्यम से बिजनेस किया जा रहा है जो तकनीकी तौर पर गलत है. लेकिन लोग आवाज नहीं उठाते क्योंकि इसमें कोई शक नहीं कि टाटा बेहद खूबूसरती के साथ पार्क का रखरखाव करती है. लोग इन तकनीकी चीजों को नज़रअंदाज़ करते हैं लेकिन जब उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा और उनकी परेशानियों को बढ़ाया जाएगा तो फिर टाटा को लीज रूल की याद दिलानी पड़ेगी वो चाहे सरयू राय दिलाएं, मीडिया, मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा या फिर अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू. टाटा को याद रखना चाहिए कि कई साल पहले जब एमडी आवास के पास की सार्वजनिक सड़क बंद कर दी गई थी

तब जवाहरलाल शर्मा ने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर दिया था जिसके बाद हाई कार्ट के आदेश पर टाटा को वो सड़क वापस खोलनी पड़ी थी.

आज जमशेदपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू तमाम दस्तावेजों के साथ तैयार हैं, वे बस प्रशासन के रूख का इंतजार कर रहे हैं, प्रशासन ने अपने पावर का इस्तेमाल न किया तो हाई कोर्ट जाना तय है.

नेताओं से अपील—आवाज उठाईए—टाटा की चरण वंदना मत कीजिए

मामले का सबसे दुखद पहलू है नेताओं की चुप्पी या फिर आवाज़ उठी भी तो टाटा के चरणों में गिरने की आवाज के साथ. कल जिला भाजपा की ओऱ से जिलाध्यक्ष गुंजन यादव ने प्रेस रिलीज़ जारी कर पर्यावरण पर चिंता जताते हुए  सड़क बंद करने की वकालत की औऱ मरीन ड्राईव की ओऱ से एक औऱ गेट खोलने की मांग की. “द न्यूज पोस्ट” गुंजन यादव से ये सवाल करता है कि पर्यावरण की ये चिंता उस समय कहां गई जब शहर के बीचोबीच स्थित ग्रेजुएट कॉलेज को स्थानांतरित करते हुए अन्य जगह पर शिफ्ट कर दिया गया क्योंकि टाटा स्टील के प्लांट का विस्तार हुआ। बारी मैदान को खत्म कर दिया गया. वहां की भी सड़क बंद की गई.शहर के बीचोबीच टाटा स्टील के प्लांट का विस्तार होता जा रहा है औऱ तब भाजपा को पर्यावरण की चिंता नहीं होती.आखिर ये क्या है? इसे क्या समझा जाए. हालांकि जिला भाजपा में गुंजन यादव के इस बयान के बाद अंतर्विरोध की खबरें आ रही हैं. आनी भी चाहिए क्योंकि इसी भाजपा में जुझारू नेता रहे हैं जिन्होंने टाटा स्टील की मनमानी के खिलाफ संघर्ष किया है.

रघुवर दास जब तक विधायक रहे उन्होंने जन मुद्दों को लेकर टाटा के सामने कभी घुटने नहीं टेके लेकिन सीएम बनने के बाद वे भी झुके से दिखे फिर भी पूरा नहीं झुके थे

और उनके कार्यकाल में एक बार शाम छह बजे ही जुबिली पार्क बंद होने पर उन्होंने उस पर रोक लगाई थी. आज उनकी चुप्पी सवाल खड़े कर रही है. हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता अभय सिंह ने बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने टाटा को याद दिलाया है कि जुबिली पार्क शैड्यूल 3 की ज़मीन है औऱ टाटा को छेड़छाड़ का अधिकार ही नहीं है. 
 सवाल झामुमो औऱ कांग्रेस से भी है कि वे कब अपनी चुप्पी तोड़ेंगे औऱ भाषा, बाहरी भीतरी के बेवजह के मसलों से परे हटकर असली मुद्दों पर बात करेंगे.वे ये चिंता बंद करें कि मामले का क्रेडिट कहीं सरयू राय न ले लें बल्कि अपनी आवाज़ बुलंद करें, अपना रोल अदा करें, जनता सब देख रही है.