रांची (RANCHI): पुरी से लगभग 533 किलीमीटर दूर रांची में भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकते हैं. पुरी मंदिर सा ही वास्तुशिल्प. यहां पूजा से लेकर भोग चढ़ाने का विधि-विधान भी पुरी जगन्नाथ मंदिर जैसा ही है. जगन्नाथपुर पहाड़ी पर स्थित मंदिर का कलश गगन को चूमता हुआ दिखता है. चारों ओर फैले ऊंचे पेड़ों की हरियाली. मंद-मंद बहती आध्यात्मिक बयार. अलौकिक शांति. हर साल यहां के एक किलोमीटर के दायरे में मेला लगता रहा है. लेकिन कोरोना के कारण दो साल ऐसा न हो सका. इस बार की पूजा और मेले को यादगार बनाने का निर्णय लिया गया. पर दो जून को कोराना गाइडलाइन का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने मेला पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब रोक हटा ली गई है यानी मेला लगेगा. इस वर्ष ऐतिहासिक रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि दिनांक 1 जुलाई को होगी.

श्रावणी मेला का भी होगा आयोजन
राज्य सरकार ने झारखंड में कोरोना से संबंधित सभी तरह की गतिविधियों को शर्तों के साथ अनुमति दे दी है. अब राज्य में मेला और प्रदर्शनी लगाया जा सकेगा। जुलूस निकाले जा सकेंग.। यानी अब भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और मेला का आयोजन हो सकेगा. श्रावणी मेले का भी आयोजन हो सकेगा. भीड़ की संख्या पर नियंत्रण भी हटा लिया गया है.

खेलकूद पर से भी हटी पाबंदी

शर्तों के साथ खेल के आयोजन और प्रतियोगिताएं भी हो सकेंगी. सभी तरह के स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान, कोचिंग सेंटर, आईटीआई एवं अन्य कौशल प्रशिक्षण केंद्र का संचालन केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए किया जा सकेगा. गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी उपरोक्त आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.

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मंदिर का निर्माण 1691 में हुआ था

मंदिर का निर्माण 25 दिसंबर 1691 को बड़कागढ़ के राजा ठाकुर ऐनी नाथ शाहदेव ने कराया था. 1976 में मंदिर ट्रस्ट बना. तब से वही देखरेख कर रहा है. 6 अगस्त, 1990 को अचानक इस मंदिर का एक हिस्सा टूट गया था. भगवान को कई दिनों तक बरामदे में विश्राम कराना पड़ा. लेकिन 1991 में बिहार सरकार और श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया.