टीएनपी डेस्क(TNP DESK): सुबह से ही आज गूगल का डूडल सोशल माध्यमों से शेयर किया जा रहा है. दरअसल गूगल किसी बड़ी शख्सियत को इसी तरह याद करता है, आज उसने भारतीय गीत-संगीत के नामी व्यक्तित्व भूपेन हजारिका को उनके 96वें जन्मदिन पर याद किया है. उनकी विरासत का जश्न मनाते हुए एनिमेटेड Google डूडल को मुंबई की कलाकार रुतुजा माली ने डिजाइन किया है.
भूपेन हजारिका को उनके गीतों के लिए काफी सराहा गया है. उनके गाने भाईचारे और मानवता की बात करते थे. उनके इस कार्य के लिए उन्हें भारत रत्न जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, उससे नवाजा गया है. हजारिका असम में पले-बढ़े और शुरुआत के दिनों से ही गीत और लोककथाओं से जुड़े रहे. उन्होंने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता बिष्णु प्रसाद राभा और गीतकार ज्योतिप्रसाद अग्रवाल के लिए महज 10 साल की उम्र में अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया. उसके बाद 12 साल की उम्र में हजारिका ने दो फिल्म बिस्वो बिजोई नौजवान (Biswo Bijoyi Naujawan) और इंद्रमालती: कक्सोट कोलोसी लोई (Indramalati: Kaxote Kolosi Loi) के लिए गाने बनाए. उन्हें अपने गीतों के माध्यम से एकता, साहस, खुशी, दु: ख, संघर्ष, दृढ़ संकल्प, रोमांस और अकेलेपन के बारे में कहानियों को बताने के लिए महान प्रतिभा के लिए जाना जाता था.
हजारिका की सुरीली आवाज के लिए उन्हें सुधा कोंथी की उपाधि दी गई थी. जिसका अर्थ है "अमृत-गला" उनके सबसे प्रसिद्ध गीतों में शिलॉन्गोर गोधुली, गंगा मोर मां, मनुहे मनुहोर बाबे, स्नेह आमार जोतो श्राबोनोर शामिल थे. लगभग एक 1000 गाने गाए. इसमें असमिया, हिंदी, बंगाली सहित अन्य कई भाषाओं के गीत शामिल हैं. उन्होंने 15 पुस्तकें भी लिखीं.
हजारिका गायक के साथ-साथ एक उत्कृष्ट फिल्म निर्देशक भी थे. उन्होंने 1967 में शकुंतला के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. 1992 में, हजारिका को दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) मिला जो भारत में सर्वोच्च सिनेमाई सम्मान है. इन सब के अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है.
संगीत और सिनेमा की दुनिया में हजारिका के योगदान को स्मारक डाक टिकटों और उनके नाम पर ढोला-सादिया पुल के नाम से भी पहचाना गया. वहीं, लंबी बीमारी के बाद नवंबर 2011 में संगीतकार का निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी.
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