देवघर (DEOGHAR): आज के समय में कृषि के लिए कृषि यंत्रों की महत्ता बढ़ती ही जा रही है. आधुनिक कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से खेती का काम आसान हो जाता है. बढ़ती हुई लागत तथा श्रमिकों के अभाव में कृषि कार्य में किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में किसानों को फसलों के बीजों की बुवाई के लिए कृषि यंत्र का इस्तेमाल एक वरदान साबित होगा. सीड ड्रिल मशीन की सहायता से फसलों की बुवाई के काम को आसान बनाया जा सकता है. इस यंत्र की सहायता से कम श्रम और कम समय में बीजों की बुवाई की जा सकती है जिससे फसलों की लागत कम करने में मदद मिलती है.

इसके लिए सत्संग आश्रम देवघर की ओर से पूज्यपाद श्रीश्रीआचार्यदेव की पहल पर देवघर के किसानों के लिए इस प्रकार के चार सीड ड्रिल मशीन प्रदान किये गये. सत्संग आश्रम देवघर द्वारा दिये गये ऐसे चार सीड ड्रिल मशीन को देवघर तथा इसके आसपास के कृषक समाज की ओर से कृषि विज्ञान केन्द्र ने ग्रहण किया. इस अवसर पर सत्संग आश्रम की ओर से डा. स्वपन कुमार विश्वास, डा. कृति कुमार मंडल, ब्रजसुन्दर साहू इत्यादि तथा कृषि विज्ञान केन्द्र देवघर की ओर से डा. राजन कुमार ओझा और रंजीत कुमार सिंह उपस्थित थे. इस मशीन का नाम "Rohitkrishi" है जो 9 Rows तथा Inclined plate वाला ट्रैक्टर द्वारा खींचा जाने वाला उपकरण है जिसे BAYER CROP SCIENCE द्वारा व्यवस्थित किया गया है.

सीड ड्रिल मशीन धान की बुवाई में बहुत ही कारगर मशीन है. यह धान की बुवाई को कम श्रम और समय में करती है. इससे धान की लागत में कमी आती है.

सीड ड्रिल एक कृषि उपकरण है जो फसलों के लिए बीज बोता है. यह बीज को मिट्टी में रखता है और उन्हें समान रूप से वितरित करने के लिए एक विशिष्ट गहराई तक दबा देता है. यह कृषि उपकरण बीज को मिट्टी से ढकने के लिए एक समान दर पर बीज डालता है. इससे किसान धान, बाजरा, मूंगफली, गेहूं, मक्का, मटर, मसूर, सोयाबीन, आलू, प्याज, लहसुन, सूरजमुखी, जीरा, चना, कपास आदि फसलों की बुवाई को सरलता से कर सकते हैं. सीड ड्रिल मशीन के उपयोग से लागत और समय बचता है और पैदावार बढ़ती है.

सीड ड्रिल मशीन से बीज की बुवाई करने पर बीज टूटते नहीं हैं. पूरे खेत में एक समान बुवाई की जा सकती है. बुवाई के बाद बीज में मिट्टी भी चढ़ाई जा सकती है. सीड ड्रिल मशीन के द्वारा खेत में खाद-उर्वरक भी दिए जा सकते हैं.

जैसा कि विदित हो, पिछले दिनों सत्संग आश्रम देवघर की ओर से भारतीय कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से मेढ़वाले ऊपरी भूमियों एवं वर्षा पर आश्रित सूखाप्रवण उथली-निचली जमीनों के लिए सूखा सहिष्णु धान की किस्म के बीजों का भी वितरण किया गया था. सहभागी धान के किस्म को, जिसे IR 74371-70-1-1-CRR-1 भी कहा जाता है, CRRI तथा IRRI द्वारा विशेष रूप से झारखंड एवं ओड़िशा के किसानों के लिए जारी किया गया था. यह एक कम अवधि (100 दिन) में पकने वाली धान की किस्म है जो 85-90 सेंटीमीटर तक बौनी होती है. यह सूखा सहिष्णु है. यह धान की किस्म ऊपरीभूमि, वर्षाश्रित सीधी बुआई और रोपाई दोनों परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है.

इसी क्रम में सत्संग आश्रम देवघर की ओर से व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान भी चलाया जा रहा है. इस कार्य में और भी प्रगति के मद्देनजर सत्संग आश्रम की ओर से देवघर वन-विभाग को बीच-बीच में हजारों किस्म के वृक्षों के पौधे दिये जा रहे हैं.इस वर्ष भी अबतक लगभग दस हजार से ऊपर पौधे दिये जा चुके हैं.

रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा