टीएनपी डेस्क(TNP DESK): नए साल का सभी को मकर संक्रांति का इंतजार रहता है. देश लोहड़ी उत्सव के एक दिन बाद जनवरी में मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाता है. मकर संक्रांति को फसल के मौसम के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और इस वर्ष 15 जनवरी को लोहड़ी के बाद इस पर्व को मनाया जाएगा. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य के कार्य करते हैं. इस त्योहार के अवसर पर रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाना आकर्षण का मुख्य केंद्र है.
मकर संक्रांति 2023: तिथि और समय
द्रिक पंचांग के अनुसार 15 जनवरी (रविवार) को पावन पर्व मनाया जाएगा. इसी दिन शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 16 मिनट से शाम 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. वहीं मकर संक्रांति महापुण्य काल सुबह 07:16 बजे से 09:01 बजे तक रहेगा.
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के त्योहार को एक भाग्यशाली अवसर माना जाता है क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध की ओर सूर्य की यात्रा की शुरुआत का संकेत माना जाता है. इस त्योहार को पतंग महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है. यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है और इस दिन सार्वजनिक छुट्टी होती है. इस अवसर पर यह माना जाता है कि सूर्य उत्तर की ओर अपनी चढ़ाई शुरू करता है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. परिणामस्वरूप, लोग गंगा और यमुना नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं. वे सूर्य देव को अपना प्रसाद अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं. इसके अलावा उत्सव में पतंग उड़ाना, पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेना और तिल के बीज पर आधारित व्यंजन बनाना शामिल है. तमिलनाडु राज्य में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में जाना जाता है. गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के रूप में जाना जाता है और हरियाणा में इसे माघी के रूप में मनाया जाता है.
दो से चार दिनों तक चलता है मकर संक्रांति उत्सव
देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्सव लगभग दो से चार दिनों तक चलता है. संक्रांति के चार दिनों के प्रत्येक दिन को विभिन्न नामों और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है.
पहला दिन - लोहड़ी, माघी, भोगी पंडिगाई
दूसरा दिन - मकर संक्रांति, पोंगल, पेड्डा पांडुगा, उत्तरायण, माघ बिहू
तीसरा दिन - मट्टू पोंगल, कनुमा पांडुगा
चौथा दिन - कन्नम पोंगल, मुक्कानुमा
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