टीएनपी डेस्क (TNP DESK): इन दिनों चारों तरफ शारदीय नवरात्रि की धूम मची हुई है. भक्त सच्चे मन से नौ दिनों तक दुर्गा मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करते हैं. आज यानी गुरुवार को शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन देवी दुर्गा की चौथे स्वरूप कूष्मांडा की पूजा का विधान है. शस्त्रों के अनुसार देवी ने अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रह्मांड तक का सृजन इसी स्वरूप में किया था, इसलिए इन्हें कूष्मांडा का नाम मिला. देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से रोग-शोक का हरण होता है और यश, बल और धन की प्राप्ति होती है.
अष्टभुजा देवी के नाम से जानी जाती हैं मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है. इनकी आठ भुजाएं हैं, यही कारण है कि इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है. वहीं आठवें हाथ में जपमाला है.
मां कूष्मांडा का प्रिय भोग
नवरात्रि के दौरान हर दिन मां को भिन्न प्रकार के भोग चढ़ाये जाते हैं. चौथे दिन मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है. इसके अलावा इन्हें दूध से बना कोई भोग भी चढ़या जा सकता है. मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं.
देवी कूष्मांडा मंत्र
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा के मंत्र का जाप करने से मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं.
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
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