टीएनपी डेस्क: कल से मां दुर्गा हर घर में विराजमान होने वाली हैं. ढोल-नगाड़ों के साथ धूमधाम से शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश की स्थापना की जाएगी. 9 दिनों तक मां भगवती के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना होगी. कल नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना कर माता दुर्गा की प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. कहा जाता है कि, अगर घर में घट की स्थापना अच्छे से की जाए तो माता प्रसन्न होती हैं. साथ ही नवरात्रि में जौ बोने की परंपरा होती है. जौ बोने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.

जौ बोने का महत्व

नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा वर्षों से चले आ रही है. पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने भूमि या किसी भी शुद्ध पात्र में जौ बुना जाता है. फिर 9 दिनों तक इस जौ की देखभाल भी की जाती है और दसवें दिन इसे काट कर देवी-देवताओं पर अर्पित करने के बाद इसे नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. ग्रंथ के अनुसार, सृष्टि की शुरुआत के बाद पहली फसल जौ थी. जौ को अन्नपूर्णा देवी के रूप में भी माना जाता है. इसलिए भी शक्ति के साथ अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि, नवरात्र में बोए गए जौ जितने हरे-भरे होते हैं उतनी ही घर में उन्नति और खुशहाली आती है. ऐसे ही अगर जौ अच्छे से नहीं उगता है तो इससे घर में परेशानी और दुख आते हैं.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

इस साल घट स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं. जिसमें पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. वहीं, दूसरा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.

घट स्थापना की सामग्री

  • मिट्टी का कलश,
  • नारियल, अक्षत,
  • जवारे के लिए पवित्र मिट्टी,
  • जवा, आम के पत्ते, दूर्वा, सिक्का,
  • हल्दी, सिंदूर, कुमकुम, गुलाल,
  • पुष्प, फल, मिठाई, गंगाजल, दिया
  • माता के चौकी के लिए लाल कपड़ा,
  • चुनरी, कलावा, कपूर, सुपारी,
  • शहद, घी, गुड़, धूप, बत्ती,

इस दिशा में करें स्थापना

कलश स्थापना करते वक्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. घर में कलश स्थापना हमेशा साफ और पवित्र जगह पर करनी चाहिए. वास्तु शास्त्र में कलश स्थापना के लिए ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व या पूर्व-उत्तर दिशा को शुभ माना गया है. इसलिए ईशान कोण दिशा में ही माता की चौकी बैठायें और कलश की स्थापना करें. ये दिशा सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानी जाती है. इस दिशा में पूजा करने से माता प्रसन्न होंगी. 

ऐसे करें कलश स्थापना

कलश स्थापना करने की जगह को पहले अच्छे से साफ कर लें. फिर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को शुद्ध कर दें. ईशान कोण दिशा में माता की चौकी बिठाएं. चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर देवी मां की प्रतिमा या तस्वीर रख दें. इसके बाद सबसे पहले प्रथम पूजनीय गणेश का ध्यान करें. इसके बाद जौ बोने के लिए भूमि या पात्र में पहले स्वास्तिक का निशान बना दें. फिर मिट्टी और सुखी खाद्य डाल दें. फिर हल्की मात्रा में पानी का छिड़काव कर मिट्टी को गीला करें. अब हलके हाथों से जौ के दानों को पूरी मिट्टी में फैला दें. इसके बाद कलश स्थापना करने के लिए कलश पर स्वास्तिक का निशान बना कर कलावा बांध दें. फिर उसमें दूर्वा, हल्दी का टुकड़ा, एक सिक्का, लौंग और सुपारी डाल दें. फिर कलश में आम के पत्ते रखकर लाल चुनरी में नारियल बांध कर कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को माता की चौकी की दाईं ओर स्थापित कर दें.