रांची (RANCHI): विश्व आदिवासी दिवस 8 अगस्त को मनाया जाएगा. इस अवसर पर तीन आदिवासी लेखकों की पांडुलिपियों को पुरस्कृत किया जाएगा. यह घोषणा आज रांची में चर्चित आदिवासी लेखिका-कवि और प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की सचिव वंदना टेटे ने की. बताया कि आदिवासी साहित्य को समृद्ध करने और युवा आदिवासी रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार शुरू किये जा रहे हैं. यह पुरस्कार मौलिक और अप्रकाशित पांडुलिपियों पर दिया जाएगा जो कविता, कहानी, उपन्यास या सामाजिक-राजनीतिक किसी भी विधा की हो सकती है. पांडुलिपि जमा करने की अंतिम तारीख 20 अगस्त 2022 है. यह पुरस्कार हिंदी व अंग्रेजी सहित किसी भी आदिवासी और भारतीय भाषा व लिपियों में रचित तीन पांडुलिपियों को दिया जाएगा.

तीन पांडुलिपियों को प्रकाशित किया जाएगा

वंदना टेटे ने बताया कि पुरस्कार के तहत चुनी गई तीन पांडुलिपियों को प्रकाशित किया जाएगा. प्रत्येक विजेता पांडुलिपि के लेखक को 50-50 कॉपी फ्री दी जाएगी. प्रकाशित पुस्तकों पर सालाना 10 प्रतिशत की रॉयल्टी दी जाएगी तथा सम्मान समारोह में उन्हें 100 प्रतियों की रॉयल्टी एडवांस में नकद दी जाएगी. इसके अलावा विजेता रचनाकारों को अंगवस्त्र, मानपत्र एवं प्रतीक चिन्ह भी प्रदान किए जाएंगे. पुरस्कार की घोषणा 30 अगस्त को की जाएगी. इस संबंध में और जानकारी के लिए प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की फेसबुक पेज को विजिट किया जा सकता है.

कौन हैं जयपाल, जुलियुस और हन्ना

जयपाल सिंह मुंडा (1903-1970) : भारतीय राजनीति में आदिवासी हक-हकूक के मरङ गोमके (सर्वोच्च अगुआ). आदिवासियत के सिद्धांतकार और संविधान-निर्माता. 1928 की ओलंपिक में वर्ल्ड चैम्पियन भारतीय हॉकी टीम के कैप्टन. आदिवासी महासभा और झारखंड पार्टी के अध्यक्ष थे.

जुलियुस तिग्गा (1903-1971): 40 के दशक के आदिवासी आंदोलन के प्रखर बौद्धिक अगुआ. आदिवासी महासभा के महासचिव. गुलाम भारत में लिखने के लिए जेल जाने वाले पहले आदिवासी पत्रकार और संपादक. 50 के दशक में आदिवासी शिक्षा और संस्कृति का मॉडल खड़ा करने वाले पहले आदिवासी शिक्षाविद्.

हन्ना बोदरा: आदिवासी महासभा के महिला संघ की अध्यक्ष. भारत की आधुनिक राजनीतिक इतिहास में सबसे प्रखर लड़ाकू महिला. झारखंड के आदिवासी आंदोलन में महासभा और झारखंड पार्टी के बैनर तले मलिाओं को संगठित और उनकी अगुआई करने वाली सबसे तेजतर्रार आदिवासी नेत्री.