टीएनपी डेस्क (TNP DESK): शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की उपासना और आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है. इस बार अश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा 26 सितंबर को है, इसी दिन से नवरात्र आरंभ होगा. इस संबंध में वाराणसी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी एवं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि किसी भी तिथि का छय न होने से अबकी बार नवरात्र पूरे 9 दिनों का है. लेकिन 4 अक्टूबर को दोपहर 1:30 तक ही नवमी तिथि है. इस अवधि में दुर्गा पाठ, हवन और कन्या पूजन किया जाएगा. वहीं 4 अक्टूबर को अपराह्न कालिक दशमी मिलने से विजयदशमी भी इसी दिन मनाई जाएगी और नीलकंठ पक्षी का दर्शन, शमी पूजन, अपराजिता पूजन, जयंती ग्रहण आदि कृत्य संपन्न किए जाएंगे. पंडित दीपक मालवीय के अनुसार, नवरात्र में देवी पूजन के अंतर्गत 1 अक्टूबर को षष्ठी तिथि में विशेष पूजन, 2 अक्टूबर को सप्तमी तिथि में पत्रिका प्रवेश, सरस्वती आवाहन देवी प्रतिमाओं की पंडालों में प्रतिष्ठा, पूजन के साथ ही महानिशा पूजन होगा. वहीं 3 अक्टूबर को महाअष्टमी व्रत और देवी अन्नपूर्णा की परिक्रमा की जाएगी. 4 अक्टूबर को पारण किया जाएगा, 5 अक्टूबर को देवी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा. उतरती का व्रत 3 अक्टूबर को रखा जाएगा और नवरात्र पर्यंत 9 दिनों का व्रत करने वाले 5 अक्टूबर को व्रत का पारण करेंगे.


26 सितंबर को होगा कलश स्थापन 
पंडित दीपक मालवीय के अनुसार, 9 दिनों के विशेष काल नवरात्र में अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापन का विधान है. इस वर्ष प्रतिपदा में चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग की व्याप्ति न होने से 26 सितंबर को पूरे दिन कलश स्थापन किया जा सकेगा. मध्यान्ह काल के अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापन की इच्छा रखने वाले प्रातः 11:36 से 12:24 तक घट स्थापन कर सकेंगे.

प्रथम रुप शैलपुत्री की पूजा

अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ माता भगवती की पूजा-आराधना के साथ 9 दिनों का शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाती है. नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान के साथ कलश स्थापना होती है और मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है. मां शैलपुत्री मां दुर्गा के नौ रूपों में पहला स्वरूप हैं. मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री को भोग में गाय के घी से बनी चीजें को अर्पित करना शुभ माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने पर सुख-समृद्धि और सभी तरह की मनोकानाएं जरूर पूरी होती हैं.


हाथी पर होगा मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान 

पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनों हाथी पर हो रहा है. शास्त्रों के अनुसार देवी का आगमन एवं प्रस्थान अत्यंत शुभ है. इसका फल ज्योतिष के ग्रंथों में जल वृष्टि कहा गया है. ज्योतिष चंद्रिका प्रकीर्ण प्रकरण में शारदीय नवरात्र में देवी के वाहन और उसके फल के बारे में सविस्तार वर्णन किया गया है.