टीएनपी डेस्क (TNP DESK): नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना अति शुभ माना गया है. मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा मां का दूसरा स्वरूप है. मां ब्रह्मचारिणी राजा हिमालय के घर पुत्री स्वरूप में जन्मी माता पार्वती का ही दूसरा रूप है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, जिस वजह से मां को तपश्चारिणी मतलब ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है. माता ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण करती हैं. एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला धारण करती हैं. पंडा पुरोहितों की माने तो मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से सर्वसिद्धि और लंबी आयु की प्राप्ति होती है.
मां ब्रह्मचारिणी कि पूजा का महत्व
नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान से पूजा की जाती है. पूजा के दौरान इन्हें चमेली का फूल अक्षत फल धूप दीप और सुगंधित वस्तु अर्पित करना चाहिए. जिसके बाद मां के इस स्वरूप का पाठ कर ब्रह्मचारिणी की आरती से पूजा संपन्न करना चाहिए. माता ब्रह्मचारिणी की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों में संयम, त्याग, तप, जप जैसे गुण का संचार होता है.
मां ब्रह्मचारिणी पूजन मंत्र
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।
मां का प्रिय भोग
मां ब्रह्मचारिणी को मीठा बेहद प्रिय है. इसलिए नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से माता अवश्य ही प्रसन्न होती है और अपने भक्तों पर आशीष लुटाती हैं.
Recent Comments