टीएनपी डेस्क(TNP DESK): भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका में एक शख्स ने हमला कर दिया. दरअसल, सलमान न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इसी दौरान एक 24 वर्षीय युवा ने चाकू से कई बार हमला कर दिया. हमले में वो काफी गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद एयर एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. हमले में उनकी हाथ की नसें फट गईं, लीवर डैमेज हो गया. वहीं, मिली जानकारी के अनुसार सर्जरी के बाद उनकी एक आंख भी खराब हो सकती है. हमलावर को न्यूयॉर्क की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस हमले के बाद ईरान की चर्चा काफी तेज हो गई है. आखिर अमेरिका में हुई इस घटना से और सलमान रुश्दी का ईरान से क्या कनेक्शन है, चलिए समझते हैं.

दरअसल, सलमान अपने लेखन को लेकर हमेशा ही चर्चा में रहते हैं. उन्हें  उनके उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इस पुरस्कार के बाद सलमान ने एक और उपन्यास साल 1998 में लिखा, जिसका नाम था 'द सैटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses). इस पुस्तक पर काफी विवाद हुआ. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इसे इस्लाम धर्म का अपमान बताते हुए, उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया. इसके साथ ही अयातुल्लाह खुमैनी ने सलमान को जान से मारने वाले व्यक्ति पर तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर के इनाम का एलान किया. जिसके बाद कई संगठनों से जान से मारने की धमकी मिलने लगी. धमकी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि सलमान को साल 1989 से साल 1998 यानी नौ साल तक छिपकर रहना पड़ा. इसके बाद साल 2012 में ईरान के ही एक और संगठन ने इनाम की राशि बढ़ा दी और उसे 3.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया. 

क्या था विवाद का मुख्य कारण 
दरअसल, सलमान की उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' की खरीद और बिक्री पर अभी भी भारत समेत कई अन्य देशों में बैन है. सलमान के इस उपन्यास में पैगंबर मोहम्मद का अपमान किए जाने का आरोप लगा था. जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया और उस उपन्यास को जलाया. उस वक्त भारत में राजीव गांधी ( Rajiv Gandhi ) की सरकार थी. 

इस उपन्यास को लेकर आरोप है कि इसमें मुस्लिम समाज की एक परंपरा को लेकर लिखा गया है, जिसकी वजह से पूरा विवाद हुआ. जिसके बाद सलमान के खिलाफ फतवा जारी किया गया. सलमान के अलावा उन लोगों को भी निशाना बनाया गया, जिन्होंने इस उपन्यास को दूसरी भाषा में अनुवाद किया था. मिली जानकारी के अनुसार जापानी भाषा में अनुवाद करने वाले हितोशी इगाराशी की हत्या तक कर दी गई थी. वहीं, कई और लोगों पर जानलेवा हमला हुआ.