पटना (PATNA) : पटना की सड़कों पर सोमवार को किसानों का गुस्सा साफ झलक रहा था. भूमि अधिग्रहण, खाद संकट और बिजली की किल्लत जैसे मुद्दों को लेकर हजारों किसान राजधानी की ओर कूच कर गए. वहीं आंदोलन का नेतृत्व राजद सांसद सुधाकर सिंह कर रहे थे.
सुबह बुद्ध स्मृति पार्क से निकली किसानों की रैली जब डाकबंगला चौराहा पहुंची, तो प्रशासन ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ने से रोक दिया. जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई थी, जिसके बाद किसानों ने वहीं सड़क पर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी और सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जताया है.
सुधाकर सिंह का बयान
किसानों के साथ धरने पर बैठे सांसद सुधाकर सिंह ने स्पष्ट कहा "या तो मुख्यमंत्री किसानों से मिलें, नहीं तो मुख्य सचिव. जब तक सरकार सीधी बातचीत नहीं करेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा." स्थिति बिगड़ने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने अंततः सांसद समेत 11 सदस्यीय किसान प्रतिनिधिमंडल को मुख्य सचिव से मिलने के लिए आमंत्रित किया.
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने सरकार के सामने तीन बड़ी समस्याएं रखी हैं
1. भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता – भारतमाला परियोजना समेत कई विकास योजनाओं में किसानों का आरोप है कि ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया में गड़बड़ी की जा रही है और उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं मिल रहा है. साथ ही विस्थापन भी न्यायसंगत नहीं है.
2. खाद की उपलब्धता – बिहार के कई जिलों में किसान खाद की कमी से जूझ रहे हैं. समय पर आपूर्ति न होने से उनकी फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
3. बिजली की समस्या – सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं हो रही. अनियमित आपूर्ति के कारण किसान दुहरी मार झेल रहे हैं.
आंदोलन का असर :
इस आंदोलन से पटना की मुख्य सड़कों पर घंटों जाम की स्थिति बनी रही. लोग जहां-तहां फंसे रहे और शहर की रफ्तार भी थम गई. किसानों का कहना है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन और व्यापक स्तर पर जारी रहेगा.
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