पटना(PATNA)- बिहार में जातीय जनगणना की प्रक्रिया भले ही पूरी तेज रफ्तार से चल रही हो, बहुत संभव है कि अगले दो-तीन महीनों में इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक भी कर दिया जाय, लेकिन आज भी इसके विरोधियों के हौसले पस्त नहीं हुए है, उनकी कोशिश किसी भी कीमत पर इस पर रोक लगाने की है.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद पटना हाईकोर्ट में होनी है सुनवाई
सीएम नीतीश का मास्टर स्ट्रोक माने जाने वाला जातीय जनगणना पर रोक लगाने की पहली कोशिश सर्वोच्च न्यायालय में हुई थी, लेकिन वहां से प्रार्थियों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जातीय जनगणना को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गयी. आज उसी मामले में सुनवाई होनी थी.
जातीय जनगणना के विरोध में दी जायेगी दलील
लेकिन आज इस मामले में बिहार सरकार के द्वारा पेश किया गया कांटर एफिडेविट रिकार्ड में नहीं होने के कारण मामले को टाल दिया गया. अब इस मामले में अगली सुनवाई कल होगी. कल सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अपराजिता सिंह और हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार के द्वारा जातीय जनगणना के विरोध में अपनी दलील पेश की जायेगी.
जातीय जनगणना के सवाल पर फिर से शुरु हुई बहस
यहां यह भी बता दें कि पहले इस मामले में सुनवाई की तारीख 4 मई को निर्धारित की गयी थी, लेकिन दावा किया गया कि तब तक जातीय गणना की गाड़ी काफी आगे निकल चुकी होगी, इसीलिए इस मामले में आज ही सुनवाई की जानी थी. इसके साथ ही बिहार में जातीय जनगणना के सवाल पर असमंसज की स्थिति निर्मित हो रही है. अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. इसके विरोधियों को इस बात की आस बंधी है कि कल पटना हाईकोर्ट के द्वारा उन्हे राहत प्रदान करते हुए जातीय जनगणना की इस कोशिश को असंवैधानिक करार दिया जायेगा. हालांकि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी बिहार सरकार के पास इस मामले को देश की सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने का विकल्प खुला होगा.
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