Ranchi- बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार में छापा और उस छापेमारी के बाद ईडी अधिकारियों का यह दावा कि जेल में बंद आरोपियों के द्वारा जांच अधिकारियों को रास्ते से हटाने की पटकथा लिखी जा रही है, और इस दुरुह काम को अंजाम देने के लिए आरोपियों के द्वारा नक्सलियों से सम्पर्क साधने की कोशिश की जा रही है. सूबे की राजनीति में भूचाल आया हुआ है, जहां विपक्ष दल भाजपा यह आरोप लगा रही है कि बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार आज दलालों और सिडिंकेट की अय्यासी का अड्डा बन चुका है, राज्य की कानून व्यवस्था की हालत यह है कि अब जेल में बंद आरोपियों के द्वारा जांच अधिकारियों को रास्ते से हटाने के लिए नक्सलियों और महिलाओं का सहारा लेने की साजिश रची जा रही है. उनके अन्दर किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं है, मौज मस्ती के तमाम साधन वहां उपलब्ध है, किसी की हैसियत नहीं है कि इन आरोपियों पर कोई बंदिश लगा सके.

कौन है वह जो ईडी की जानकारियों को सामने ला रहा है  

वहीं इस आरोप पर पलटवार करते हुए झामुमो का आरोप है कि दरअसल यह साजिश तो भाजपा और केन्द्रीय एंजेसियों के द्वारा रची जा रही है. यह आरोप नहीं होकर एक गंभीर राजनीतिक षडयंत्र है, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह का आरोप लगाने के पहले ईडी को इस बात की जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए कि उन्हे इस छापेमारी में क्या मिला? उन्हे सारे संबंधित साक्ष्य सार्वजनिक करना चाहिए, सुप्रियो ने कहा कि वे लोग कौन हैं, जिनके द्वारा ईडी की यह जानकारियां सामने लायी जा रही है, और उसके आधार पर ये सारे दावे किये जा रहे हैं, ईडी को सबसे पहले उन चेहरों की पहचान करनी चाहिए. लेकिन लगता है कि ईडी भी भाजपा के साथ इस षडयंत्र का हिस्सा है, और भाजपा के इशारे पर ही इस सियासी षडयंत्र का ताना बाना बून रही है.

बिरसा मुंडा कारागार में बंद है प्रेम प्रकाश

यहां बता दें कि बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार में ईडी और दूसरी जांच एजेंसियों के द्वारा गिरफ्तार सभी आरोपियों को रखा गया है, इसमें प्रेम प्रकाश से लेकर जमीन और खनन घोटाले के तमाम आरोपी है, दावा किया जाता है कि जब ईडी ने जेल में छापेमारी की तो उसे इस बात की जानकारी मिली कि प्रेम प्रकाश और दूसरे कई आरोपियों के द्वारा जांच अधिकारियों को रास्ते से हटाने के लिए जेल में ही बंद नक्सलियों और कुख्यात आपराधी गिरोह अमन साव गिरोह से मदद लेने की साजिश रची जा रही है, दावा किया गया कि इस बात की जानकारी दूसरे कैदियों के द्वारा पत्र भेजकर यह जानकारी ईडी को देने की कोशिश की गयी थी, लेकिन उनकी इस जानकारी को ईडी तक पहुंचने नहीं दिया गया.

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