Ranchi-एक तरफ चंपाई सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सारे विधायक राजभवन की ओर निकल चुके हैं, अब कुछ ही देर में शपथ ग्रहण की औपाचारिकता पूरी की जायेगी, लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस का अंतर्कलह समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. शपथ ग्रहण में शामिल होने राजभवन जाते हुए कांग्रेस विधायक भूषण बाड़ा तिर्की ने यह कह कर सियासी सनसनी फैला दी है कि अभी तो खेल शुरु हुआ है. दूसरी तरफ  जामताड़ा विधायक डॉक्टर इरफान के बगावती स्वर अभी भी थमने के नाम नहीं ले रहा है, इरफान ने अपने दर्द को मीडिया के सामने लाते हुए इस बात का दावा किया है, वह बहुत ही जल्द नाराज विधायकों के साथ दिल्ली जायेंगे, जहां कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात कर झारखंड की जमीनी हकीकत को सामने रखा जायेगा, हालांकि इस बीच राहत खबर यह जरुर है कि भूषण बाड़ा तिर्की से लेकर इरफान चंपाई सरकार की स्थिरता पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर रहे हैं, उनका दावा है कि नाराज विधायकों की शिकायक स्थानीय नेताओं और खास कर प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर को लेकर है, क्योंकि उनके द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद ना तो गुलाम अहमद मीर और ना ही राजेश ठाकुर के द्वारा विधायकों की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की गयी, और यदि ऐसा किया जाता तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता.

किन किन विधायकों ने की थी अलग बैठक

यहां ध्यान रहे कि आज जैसे ही इस बात की खबर मिली कि कांग्रेस इस बार मंत्रियों के चेहरे में कोई बदलाव नहीं करने जा रही है, और सभी पुराने चेहरों को मौका दिया जाना है. दीपिका पांडेय, अंबा प्रसाद, इरफान अंसारी, अनुप सिंह, उमा शंकर अकेला, नेहा शिल्पी तिर्की, प्रदीप यादव के साथ ही करीब दर्जन भर विधायक रुम नम्बर 107 में बैठकर इसका विरोध करने लगें. और इसके बाद यह खबर मीडिया की सुर्खियां बनने लगी. लेकिन दावा किया जाता है कि एन वक्त पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मोर्चा संभाला, इस मिशन में उन्हे वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता रामेश्वर उरांव का भी साथ मिला और आखिरकार सभी नाराज विधायकों को मनाने में कामयाबी हासिल कर ली गयी.

किसके किसके हिस्सा आया मंत्री पद

इस बीच यहां यह भी बता दें कि झामुमो अपने कोटे से हफीजुल हसन, दीपक बिरुवा, बसंत सोरेन, बेबी देवी, मिथिलेश ठाकुर को मंत्री पद का ताज सौंपा है, वहीं कांग्रेस की ओर से पुराने चेहरे रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख को मंत्री का ताज पहनाया गया है.

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