रांची(RANCHI)-सदन के बाहर और सदन के अन्दर आदिवासी-मूलवासियों की बेखौफ आवाज के रुप में अपनी पहचान बना चुके बोरियो विधायक लोबिन की भाषा और रणनीति कुछ बदली नजर आने लगी है, हालांकि लोबिन पहले भी हेमंत सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं, और अपने ही सरकार पर आदिवासी मूलवासियों से जुड़े मुद्दों पर पीछे हटने का आरोप भी लगाते रहे हैं, संताल में अवैध खनन का मुद्दा हो या जैन मंदिर- मारंग बुरु विवाद, 1932 का खतियान हो या खतियान आधारित नियोजन नीति का सवाल, आदिवासी भाषा का सवाल हो या गैर झारखंडी चेहरों का की झारखंड की राजनीति में दबदबा, वह खुल कर आदिवासी मूलवासियों की वकालत करते रहे हैं, इसी तल्ख आवाज के कारण हेमंत सरकार के साथ उनके रिश्तों में कटूता भी आई, वह पार्टी में रहकर भी पार्टी से दूर खड़े नजर आने लगे, दावा किया जाता है कि पिछले विधान सभा सत्र के दौरान लोबिन के संबोधन के दरम्यान कथित रुप से उसका प्रसारण बंद कर दिया गया था. बावजूद इसके लोबिन इस बात का दावा करते रहे हैं कि उनका मुखिया शिबू सोरेन हैं,  और वह जो कुछ भी बोल रहे हैं, वह अधिकारिक रुप से झामुमो के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा है. वह  कहीं से भी पार्टी की नीतियों  से दूर नहीं खड़े हैं, यह तो हेमंत सरकार को जो अपने घोषणा पत्र से पीछे हट रही है.

भाजपा को दुष्प्रचार को आवाज दे रहे हैं लोबिन हेम्ब्रम         

लेकिन इस सत्र में लोबिन की रणनीति बदली नजर आ रही है, वह हेमंत सरकार के खिलाफ खुले रुप से भाजपा के दुष्प्रचार को अपनी आवाज देते नजर आ रहे हैं. सरकार को कानून व्यवस्था पर सवाल घेरते हुए 15 दिनों के अन्दर सुरक्षा उपलब्ध करवाने की मांग की है. लोबिन का दावा है कि वह लगातार अवैध खनन के विरुद्ध आवाज उठाते रहते हैं, वह जिस इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह दिन दहाड़े गोली मार कर हत्या की जाती है. बावजूद इसके उनका सुरक्षा गार्ड को वापस लेने का फैसला किया है. लोबिन ने कहा कि वह इस मसले पर डीजीपी से मिलकर भी अपनी सुरक्षा की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. लोबिन ने धमकी दी है कि यदि इन 15 दिनों में उन्हे सुरक्षा प्रदान नहीं की गयी तो वह गृह मंत्रालय को पूरे मामले की जानकारी प्रदान करेंगे. केन्द्र सरकार से सुरक्षा की गुहार लगायेंगे.

अमित शाह से मुलाकात के बाद क्या भाजपा ज्वाइन करने की बनेगी रणनीति

अब असल खेल यहीं से शुरु होता है, क्या लोबिन की राजनीति कुछ दूसरी दिशा में बढ़ती हुई दिखलाई नहीं दे रही? क्या यह सत्य नहीं है कि लोबिन अपनी ही सरकार में हाशिये पर खड़ नजर आ रहे हैं? क्या यह सत्य नहीं है कि जिस कानून व्यवस्था को भाजपा मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है, अब लोबिन उसे अपनी आवाज देते नजर आ रहे हैं? यदि उन्हें सरकार से कोई शिकायत थी तो वह सीएम हेमंत से मिलकर भी मामले का समाधान का आग्रह कर सकते थें, अपनी समस्य़ा से अवगत करवा सकते थें, लेकिन वह अपने सीएम हेमंत से नहीं मिल, पार्टी फोरम में अपनी शिकायत को नहीं रख, देश के गृह मंत्री से मिलने की तैयारी कर रहे हैं, तो क्या गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सिर्फ अपनी सुरक्षा की मांग करेंगे, या जैसा की आज कल देखा जा रहा है, हर विरोधी दल का नेता पार्टी छोड़ने से पहले अमित शाह से मुलाकात करता है, और उसके बाद ही भाजपा ज्वाइन करने की घोषणा की जाती है, यह मुलाकात भी उसी कड़ी का हिस्सा है.