रांची(RANCHI) जेएसएससी की ओर से आयाजित परीक्षा में सक्षम अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण अनुसूचित जनजाति के 2008 और अनुसूचित जाति के 948 पद सरेंडर होने के कगार पर हैं, आज विधान सभा के अन्दर इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेसी विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने सरकार से न्यूनतम अंक को घटाने की मांग की है, ताकि आरक्षित पदों में स्थानीय लोगों की बहाली और उनका प्रतिनिधित्व हो सके.

सरकार के हस्तक्षेप की मांग

ध्यान रहे कि जेएसएससी की ओर से आयोजित परीक्षा में कुल 3461 पद हैं, जिसमें से अनुसूचित जनजाति के लिए कुल 2008 पद आरक्षित हैं, जबकि अनुसूचित जाति के लिए कुल 948 पद आरक्षित हैं, लेकिन न्यूतम अंक अधिक रहने के कारण जेएसएससी को इन पदों के लिए योग्य उम्मीवार नहीं मिल रहे हैं, अब शिल्पी नेहा तिर्की ने इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप करते हुए जेएसएससी से न्यूनतम अंकों की उपरी सीमा को घटाने का आग्रह किया है.

सरेंडर करना पड़ सकता है रिक्त पद

शिल्पी नेहा तिर्की ने सदन के माध्यम से सरकार के तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए कहा कि यदि उचित समय पर हस्तक्षेप नहीं किया गया तो ये सारे पदों को सरेंडर कर दिया जायेगा और इसका नुकसान आरक्षित वर्गों को उठाना पड़ेगा. यहां बता दें कि जब आयोग को योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं. तो उस स्थिति में उन पदों को सरेंडर कर दिया जाता है. जबकि यदि आयोग चाहे तो न्यूनतम अंकों को घटा सकती है, ताकि वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व हो सके. शिल्पी नेहा तिर्की की मांग यही है, अब देखना है कि इस मामले में हेमंत सरकार क्या कदम उठाती है, कई अभ्यर्थियों के द्वारा भी यह उठायी जाती रही है. माना जाता है कि उसी दवाब में इस मुद्दे को सदन के अन्दर उठाया गया है.