Patna-जबसे के.के पाठक ने बिहार की बदहाल-खस्ताहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेवारी संभाली है. वह लगातार विवादों के केन्द्र में हैं. उनकी ना तो अपने मंत्रियों से बन रही और ना ही अपने अधीनस्थ कर्मियों से और तो और वह तो बीपीएससी से अध्यक्ष के साथ भी पंगा लेते दिख रहे हैं. कभी वह हाड़ कांपती ठंढ़ में बच्चों को विद्यालय आने का फरमाने सुनाते हैं, तो कभी 10 से 5 की पुरानी स्कूली शिक्षा को बदलते हुए 9 से 5 तक विद्यालय चलाने का फरमान. ठंड को लेकर तो उनका और भी अजीब तर्क है. उनका सवाल है कि दुनिया के जिन देशों में बिहार की तुलना में कई गुणा ठंड पड़ता है, क्या वहां विद्यालयों पर ताला लगा दिया जाता है, जब सारे विभागों के काम यथावत चलता रहता है तो सिर्फ विद्यालयों पर ही ताला क्यों लटकाया जाता है. उनका तो मानना है कि ठंड से किसी की मौत नहीं होती, और यदि ऐसा होता तो दुनिया के जिन हिस्सों में सारे भर ठंड का कहर जारी रहता है, क्या वहां विद्यालय नहीं होते, क्या वहां शिक्षा नहीं होती, क्या वहां के बच्चे दिन भर घरों में आराम करते हैं. के.के पाठक के इस तेवर से इतना तो जरुर लगता है कि उनके अंदर बिहार की इस बदहाल शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जिद है, वह पुराने और घिसे पिटे रास्ते से आगे निकल बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सर्जिकल ऑपरेशन करने की मंशा रखते है. लेकिन उनका यही तेवर अब पक्ष से लेकर विपक्ष को उनके खिलाफ एकजुट कर रहा है.
पेन ड्राइन के साथ विधान परिषद में पहुंचे थे विपक्षी विधायक
आज उसी की झलक बिहार विधान परिषद में देखने को मिली. शिक्षकों को लेकर उनकी एक कथित टिप्पणी को मुद्दा बनाते हुए जदयू के गुलाम गौस ने के.के पाठक को मानसिक रोगी बताते हुए इस बात का दावा किया कि सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त होने के कारण उनके दिमाम में कुछ ना कुछ चलता रहता है, इस हालत में बेहद जरुरी है कि उन्हे उनकी जिम्मेवारियों से मुक्त कर तत्काल कांके या आगरा मानसिक आरोग्यशाला में भेजा जाय, ताकि उनके दिमागी हालात का सही तस्वीर सामने आ सके. लेकिन हैरत तब हुई जब गुलाम गौस को भाजपा के राजेन्द्र गुप्ता का भी साथ मिल गया. राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वह पूर्व में भी ऐसी बातें करते रहे हैं. एक मेडिकल बोर्ड गठित करके मानसिक अवस्था की जांच की जाए. साफ-साफ कहा कि जिस तरह का आदेश यह शिक्षकों को लेकर देते हैं कहीं से भी उचित नहीं है. इसके पहले आज विधान सभा में विपक्षी दलों के सदस्य एक पेन ड्राइव हाथ में लेकर सदन में पहुंचे थें. उनका दावा था कि के. के पाठक ने शिक्षकों पर अभद्र टिप्पणी की है, अभी विपक्षी सदस्य हंगामा मचा ही रहे थें कि अचानक से उन्हे सत्ता पक्ष का भी साथ मिलना शुरु हो गया. पक्ष विपक्ष एक सूर में हमलावर देख कर सभापति को मामले का संज्ञान लेना पड़ा, सभापति ने हंगामा मचाते सदस्यों इस बात का आश्वासन दिया कि वह अपने चैंबर में उनके साथ इस मामले को देखेंगे और फिर जो भी निर्णय होगा, उसके सरकार को अवगत करवा दिया जायेगा.
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