धनबाद(DHANBAD):  बिहार की राजनीति को समझना "पंडितों" के लिए भी कठिन हो गया है.  वैसे, भी कहा जाता है कि बिहार में चौक -चौराहे  पर भी राजनीति की खिचड़ी पकती है और बढ़ती है.  फिलहाल एनडीए और महागठबंधन के बीच तो प्रतिस्पर्धा चल ही रही है, लेकिन बिहार की राजनीति में चिराग पासवान फिलहाल "हॉट केक" बने हुए है.  चिराग पासवान को लेकर एनडीए वाले भी परेशान है.  चिराग पासवान विधानसभा चुनाव तक क्या करेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है.  क्या वह एनडीए पर सीट  बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं, अथवा उनके मन की योजना अभी बाहर नहीं आई है.  इसलिए भी अधिक बेचैनी बनी हुई है.  वैसे, बिहार की राजनीति में जन  सुराज  के सूत्रधार प्रशांत किशोर भी एक कोण  बनाते  दिख रहे है. 

प्रशांत किशोर लगातार चिराग पासवान की तारीफ कर रहे 
 
प्रशांत किशोर लगातार चिराग पासवान की तारीफ कर रहे है.  वह नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव की खामियां बताते है.  कांग्रेस को कहते हैं कि बिहार में तो उसका कुछ वजूद ही नहीं है.  वह तो राजद  की पिछलग्गू  पार्टी है.  लेकिन चिराग पासवान को नया लड़का बताते है.  यह भी कहते हैं कि वह जात-पात की बात नहीं करते.  अब सवाल यहां उठ रहा है कि नीतीश कुमार को "सुरक्षित" रखने के लिए अगर एनडीए चिराग पासवान को बिहार आने से रोक दे, तो क्या बिहार में कोई नई खिचड़ी पक सकती है.  प्रशांत किशोर चिराग पासवान के खिलाफ बोलने से बचते है.  हालांकि प्रशांत किशोर  भी दावा करते हैं कि वह किसी से गठबंधन नहीं करेंगे और 243 सीट पर चुनाव लड़ेंगे.  क्या अगर चिराग पासवान एनडीए छोड़ दें तो कोई नया गठबंधन  बन सकता है क्या? यहां यह भी बताना जरूरी लग रहा है कि चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा हिलोरा मार रही है और इस वजह से नीतीश कुमार असहज  महसूस कर रहे है.  

जीतन राम मांझी लगातार चिराग पासवान के खिलाफ बोल रहे

जीतन राम मांझी लगातार चिराग पासवान के खिलाफ बोल रहे है.  वैसे भी चिराग पासवान और  जीतन राम मांझी के बीच चल रही खींचतान से एनडीए के लोग भी परेशान है. यहाँ   प्रधानमंत्री की सिवान रैली की चर्चा भी जरूरी है.  चिराग पासवान की पार्टी के सांसद अरुण भारती ने कहा था कि सिवान में नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से पूछा था कि क्या वह बिहार से चुनाव लड़ना चाहते है.  अगर चाहते हैं तो कहां से लड़ना चाहते हैं? नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री हैं, उन्हें बिहार से लड़ने की क्या जरूरत है? हालांकि बाद में चिराग पासवान ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी में उनके लड़ने का फैसला होता है, तो वह नीतीश कुमार से आशीर्वाद लेने जरूर जाएंगे.  बिहार में एनडीए के साथ फिलहाल जदयू ,चिराग पासवान की पार्टी, जीतन राम मांझी की पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा का मोर्चा शामिल है.  

बीजेपी और जदयू 100 -100  से नीचे जाने को तैयार नहीं

चर्चा है कि बीजेपी और जदयू 100 -100  से नीचे जाने को तैयार नहीं है.  जदयू भाजपा से एक सीट भी ज्यादा लड़ने को चाहता है. फिर चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को बची हुई सीटों से संतुष्ट करना मुश्किल दिख रहा है.  अगर बात नहीं बनी  और 43 सीटों का बंटवारा चिराग ,जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के बीच हुआ, तो बात कुछ बिगाड़ सकती है.  ऐसे में क्या चिराग पासवान या कोई और किसी दूसरे गठबंधन में शामिल हो सकता है.  क्या इसका लाभ प्रशांत किशोर उठाने की कोशिश नहीं करेंगे? वैसे सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में भी कम उठा पटक नहीं है.  तेजस्वी यादव के पास सभी सहयोगी दलों ने लंबी चौड़ी लिस्ट पहुंचा दी है.  अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे -आगे बिहार में होता है क्या? राजनीति में जो दिखता है, वह होता नहीं है.  सब कुछ पर्दे  के पीछे तय होता है.  क्या बिहार के चुनाव में भी ऐसा ही कुछ होगा, इसके लिए समय का इंतजार करना होगा.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो