रांची (RANCHI) : सुप्रीम कोर्ट से DGP अनुराग गुप्ता को बड़ी राहत मिली है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की याचिका शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी है. दरअसल डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिका खारिज कर दी. सरकार की ओर से दलीलें रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार के अधीन है और अनुराग गुप्ता की नियुक्ति नियमों के तहत की गई है.

जानिए क्या है पूरा मामला

केंद्र सरकार ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के रिटायरमेंट को लेकर राज्य सरकार को पत्र भेजा था और जानकारी दी थी कि अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल तक ही झारखंड के डीजीपी के पद पर अपनी सेवा दे सकेंगे. लेकिन झारखंड सरकार ने इसे खारिज कर दिया और अनुराग गुप्ता को झारखंड के डीजीपी के पद पर काम करने की अनुमति दे दी. वहीं राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था, जिसमें बताया गया था कि अनुराग गुप्ता को कानूनी तौर पर 2 साल के लिए डीजीपी के पद पर नियुक्त किया गया है और कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है. वहीं डीजीपी की नियुक्ति को लेकर बाबूलाल मरांडी ने याचिका दायर की थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. 

अनुराग गुप्ता की सेवा के लिए बनी थी विशेष नियमावली 

डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए एक विशेष नियमावली बनाई गई, जिसके आधार पर अनुराग गुप्ता को राज्य का स्थाई पुलिस महानिदेशक बना दिया गया. इस पद पर उनका पदस्थापन 2 वर्षों के लिए हुआ. राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार 26 जुलाई, 2026 तक के लिए अनुराग गुप्ता पुलिस महानिदेशक बने रहते. लेकिन राज्य सरकार के द्वारा नियमावली बनाकर अनुराग गुप्ता को पुलिस महानिदेशक बनाए जाने का निर्णय सवालों के घेरे में आ गया. इस पर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप भी चले. इधर केंद्र सरकार ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति पर अपना मंतव्य दिया है. इसमें नियुक्ति को गलत बताया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा है कि 30 अप्रैल 2025 तक ही उनकी सेवा होगी. अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या निर्णय लेते हैं.

2020 में हेमंत सोरेन की सरकार ने किया था निलंबित

2020 में हेमंत सोरेन की सरकार ने ही आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को निलंबित किया था, क्योंकि उन पर 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव में बड़कागांव की तत्कालीन कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के लिए प्रलोभन देने और उनके पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को धमकाने का आरोप था. करीब 26 महीने बाद अप्रैल 2022 में उनका निलंबन वापस ले लिया गया था.