धनबाद(DHANBAD) - केबल चोरों के उत्पात से परेशान बीसीसीएल प्रबंधन ने प्रशासन से गुहार की है कि कंपनी को केबल चोरों से बचाया जाय, इस संबंध में बीसीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने धनबाद के डीसी को पत्र लिखकर ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया है. केबल चोरों की ताकत का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीआईएसएफ सहित आतंरिक सुरक्षा बल के बावजूद प्रबंधन कुछ नहीं कर पा रहा है.
हर सप्ताह 5 घटनाएं
बता दें कि कोयला चोरी से परेशान प्रबंधन को केबल चोरो ने नाक में दम कर रखा है. हर सप्ताह लगभग 4 से 5 केबल चोरी की घटनाएं हो रही है. केबल चोर जहां जी में आता है, केवल काट ले जा रहे है. वह इतने संगठित है कि पुलिस और सीआईएसएफ से लोहा लेने में पीछे नहीं रहते.
4 से 5 दिन तक उत्पादन रहता है बाधित
जानकार सूत्रों के अनुसार केबल काटने के बाद बीसीसीएल को जो आर्थिक नुकसान होता है, सो तो होता ही है. सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि 4 से 5 दिनों तक कोलियरी का उत्पादन ठप हो जाता है. नए ढंग से केबल बिछाने के बाद ही काम चालू हो पाता है. यहां यह बता दें कि भूमिगत खदानों में जो केबल बिछाए जाते हैं ,उनमें कॉपर के तार होते है. कंपनियां एलुमिनियम के तार बिछाने से बचती है, क्योंकि इनमें खराबी अधिक आती है. कॉपर के तारों का बाजार में ठीक-ठाक मूल्य मिल जाता है, इसलिए केवल चोर लगातार घटनाओं को अंजाम देते है.
बिना नक़्शे के ही खदान को जानते है केबल चोर
हैरानी करने वाली बात यह है कि जिस खदान का नक्शा प्रबंधन के पास नहीं है ,माइनिंग सरदार या बड़े अधिकारी अंदर नहीं जाते हैं, उन खदानों के चप्पे-चप्पे की जानकारी केवल चोरों को होती है. केवल जानकारी ही नहीं होती है बल्कि दो-तीन दिनों तक वे खदानों के भीतर रह भी लेते हैं और जरूरत के हिसाब से दूसरा रास्ता बना कर निकल भी जाते है. अभी ईसीएल की कोलियरी में यही हुआ, बाहर पुलिस खदान को घेरे रही और अंदर ही अंदर केबल चोर वैकल्पिक मार्ग से निकल भागे.
40 भूमिगत खदानें चलती थी
एक समय तो बीसीसीएल में 40 से अधिक भूमिगत खदाने चलती थी लेकिन जब से पोखरिया खदानों का प्रचलन बढ़ा है,भूमिगत खदाने बंद की जाने लगी है.
रिपोर्ट : अभिषेक कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ, धनबाद
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