पलामू (PALAMU) : शुगर के मरीजों को आमतौर पर आलू मना होता है. पर आलू अगर शुगर फ्री हो तो ! जी हां, किसानों ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. शुगर फ्री आलू एवं चिप्स बनाने वाली आलू की खेती की है. शुगर फ्री आलू की सोना फ्राई एवं चिप्स बनाने वाली कुफरी चिप्सोना-3 (चिप्सोना) प्रजाति को किसानों ने खेत में लगाया. फसल अच्छी थी, तो उत्पादन भी अच्छा ही हुआ. इसकी कोड़ाई कर खेत से निकाला गया, तो उत्पादन का आकलन भी सही निकला. दंगवार एवं डुमरहाथा के करीब आधा दजर्न से अधिक किसानों ने सामूहिक रूप से शुगर फ्री आलू तथा चिप्सोना प्रजाति के आलू लगाये.
यहां हो रही खेती
हुसैनाबाद के दंगवार, डुमरहाथा, कजरात नावाडीह, एकौनी गांव में आलू के नई प्रजाति सोना फ्राई की खेती हुई है, जबकि चिप्सोना की खेती दंगवार एवं डुमरहाथा में की गयी. साथ ही शुगर फ्री आलू की खेती गढ़वा जिले के उचरी गांव में भी की जा रही है. दंगवार एवं डुमरहाथा में सुगर फ्री आलू की खेती तो पिछले दो साल से हो रही है, लेकिन चिप्स बनाने वाली आलू कुफरी चिप्सोना की खेती पहली बार की गयी है. हुसैनाबाद प्रखंड क्षेत्र में 5 एकड़ से अधिक एवं गढ़वा जिले के उचरी गांव में एक एकड़ में सुगर फ्री आलू की खेती की जा रही है. बीर कुअंर सिंह कृषक सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, डुमरहाथा के अध्यक्ष व किसान प्रियरंजन सिंह ने बताया कि इसकी खेती सामान्य आलू की तरह ही होती है. मेहनत भी बराबर पड़ती है, लेकिन इसकी उपज सामान्य आलू से करीब तीन गुनी अधिक हो जाती है.
पोषक तत्वों से भरपूर
कृषि विज्ञान केन्द्र के हेड सह कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि सामान्य आलू में कार्बोहाइड्रेट अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है. इसमें विटामिन, प्रोटीन, फाइवर, पोटैशियम, आयरन आदि भी पाये जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं. पलामू में हो रही शुगर फ्री आलू एवं चिप्स बनाने वाली आलू की खेती की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां रसायनिक खाद मुक्त खेती की जा रही है. जैविक खाद का प्रयोग कर आलू के उपज का उत्पादन लिया जा रहा है. किसानों ने बताया कि जैविक खाद का उपयोग किये जाने से शुगर फ्री आलू एवं चिप्सोना प्रजाति के आलू की फसल का पैदावार सामान्य आलू की खेती से ज्यादा होती है. इसमें कीड़े-मकोड़े भी कम लगते हैं.
बाजार मूल्य अधिक होने से आमदनी अच्छी
किसानों ने बताया कि सुगर फ्री एवं चिप्स बनाने वाली आलू का बाजार मूल्य भी अधिक है. सामान्य आलू की बिक्री जहां 10-15 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से होती है. वहीं सुगर फ्री आलू 50-80 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है. इसके खरीददार भी कम नहीं हैं.
इन किसानों ने लगाये हैं शुगर फ्री आलू
डुमरहाथा और नदियाइन के कई किसानों ने शुगर फ्री आलू की खेती की है. इसमें मुख्य रूप से किसान प्रियरंजन सिंह के अलावा अशोक मिस्त्री, राजकुमार मेहता, सुधीर मेहता, जितेन्द्र मेहता, टहल मेहता, राम अवतार मेहता आदि किसान शामिल हैं. जबकि गढ़वा जिले के उचरी गांव में प्रशांत तिवारी ने सुगर फ्री आलू की खेती की है.
घर पर पहुंचते खरीदार
किसानों ने बताया कि पिछले दो वर्ष से वे इसकी खेती कर रहे हैं। लोकल बाजार जाकर बेचने की भी आवश्यकता नहीं होती। किसानों के खेत एवं घर से ही आसपास के लोग इसे खरीद ले जाते हैं. वहीं छत्तीसगढ़, झारखंड के रांची एवं बिहार के डिहरी आदि स्थानों के लोग इसे खरीदकर ले जाते हैं. चिप्स बनाने वाली आलू चिप्सोना प्रजाति के आलू की खरीद के लिए बिहार राज्य के डिहरी के व्यापारी उनके संपर्क में होते हैं. खेत से आलू निकलने के बाद व्यापारी चिप्स बनाने के उद्देश्य से खरीदकर ले जाते हैं.
रिपोर्ट : समीर हुसैन ,रांची
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