धनबाद(DHANBAD) - देश में अमोनियम नाइट्रेट की कमी हो गई है. इस वजह से कोयला कंपनियों को आवश्यक मात्रा में एक्सप्लोसिव नहीं मिल रहा है. नतीजा है कि बीसीसीएल समेत कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में एक्सप्लोसिव की कमी का सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है. वित्तीय वर्ष अब लगभग समाप्ति पर है, लक्ष्य हासिल करने का कोयला कंपनियों पर दबाव है. कोयला कंपनियों ने अपनी इस परेशानी की जानकारी कोयला मंत्रालय तक पहुंचा दी है. कोयला मंत्री की समीक्षा बैठक में भी यह बात उठी थी.
कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों में लगभग 350 खदानें
जानकारी के अनुसार अभी कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों में लगभग 350 कोलियारियां चल रही हैं और प्रत्येक कोलियरियों को रोज-रोज अमोनियम नाइट्रेट की खेप मिलती है. अमोनियम नाइट्रेट को बहुत ज्यादा दिन तक स्टॉक नहीं किया जा सकता, इसलिए हर दो-चार दिन पर इसे मंगाया जाता है.
बता दें कि कोयला कंपनियां विस्फोटक पर हर वर्ष लगभग ₹2000 करोड़ खर्च करती है. कोयला उत्पादन के अनुसार औसतन इसमें उतार-चढ़ाव भी होता है. जानकारों के अनुसार सबसे अधिक एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल एनसीएल में होता है,यहां लगभग एक साल में 1.25 लाख टन एक्सप्लोसिव का उपयोग होता है.
बीसीसीएल में सालाना 50 हज़ार टन जरूरत
बीसीसीएल की बात करें तो सालाना यहां 50 हज़ार टन विस्फोट की खपत है. चौथे नंबर की एक्सप्लोसिव का उपयोग करने वाली कंपनी सीसीएल है. कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों को अधिकतर एक्सप्लोसिव आईओसीएल से मिलती है, कुछ प्राइवेट कंपनियां भी सप्लाई करती है. बीसीसीएल का उच्च प्रबंधन भी स्वीकार करता है कि अमोनियम नाइट्रेट की कमी से एक्सप्लोसिव की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. इससे प्रोडक्शन में थोड़ी परेशानी आ रही है. पिछले कई महीनों से कोल कंपनियों को एक्सप्लोसिव की कमी चल रही है. ऐसे में कोयला कंपनियों को टारगेट हासिल करना मुश्किल दिख रहा है.
रिपोर्ट :सत्य भूषण, धनबाद
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