गुमला (GUMLA) -बहंगी...यह शब्द आज बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल होता तक नहीं दिखता. नई पीढ़ी के कई लोग इस शब्द से शायद वाकिफ भी न हों. पर झारखंड के मिरचाईपाट जैसे कई गांव में डूबते का सहारा सा है. 11 मार्च 2022 की ही बात करें तो इस बहंगी पर दो जीव की आस बंधी दिखी. प्रसव पीड़ा से बिलखती फुलमनी को परिजनों ने बहंगी के सहारे ही गांव से बाहर तक पहुंचाया जिसके बाद एंबुलेंस से उन्हें जशपुर अस्पताल ले जाया गया. एक और चौंकाने वाली बात है कि यहां तक भी एंबुलेंस पहुंचाने में झारखंड सरकार की चिकित्सा व्यवस्था हाथ खड़े कर देती है, पर पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ एक कॉल पर तत्काल एंबुलेंस भेज देता.
सड़क ही नहीं, कैसे पहुंचे एंबुलेंस !
सरकार की व्यवस्था और दावों की पोल खोलने वाला यह नजारा गुमला जिला के डुमरी ब्लॉक के मिरचाई पाट गांव का है. यह गांव झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर बसा है. यहां आजादी के वर्षों बीत जाने के बाद भी आने जाने हेतु सड़क की सुविधा नहीं है. इस कारण मरीज कितना भी गंभीर हो, गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकता. ग्रामीणों की जान बिना शोर के जाती हैं. विवशता जीवनशैली का हिस्सा सी हैं. ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जब मिरचाईपाठ निवासी एक फुलमनी नामक युवती को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उनके परिजनों ने एंबुलेंस हेतु झारखंड हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया. लेकिन उक्त ग्राम तक सड़क नहीं होने का हवाला देते हुए एंबुलेंस भेजने में असमर्थता जताई गई. तब पीड़िता के परिजनों ने ग्रामीणों के सहयोग से छत्तीसगढ़ हेल्पलाइन नंबर पर कॉल लगाया. इसके उपरांत वहां से एंबुलेंस गांव तक आकर पीड़िता को बेहतर इलाज हेतु अपने साथ जशपुर अस्पताल ले गई. जहां पीड़िता का सकुशल प्रसव कराया गया.
अपने की जगह काम आते पड़ोसी !
विवशता तो इतनी है कि जब इन्हें झारखंड सरकार से चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है, तो यहां के ग्रामीण छत्तीसगढ़ सरकार से चिकित्सा व्यवस्था की गुहार लगाते हैं. होता ये है कि छत्तीसगढ़ चिकित्सा प्रबंधन द्वारा बार-बार इन्हें बिना किसी प्रकार के भेद भाव किए इनके दुर्गम गांव तक पहुंचाकर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. जबकि झारखंड हेल्पलाइन से इनको सड़क नहीं होने का हवाला दिया जाता है.
सुविधाओं के अभाव में होती मौत
ऐसी घटना की सूचना यहां के ग्रामीणों से बार-बार मिलती रहती है. कई बार मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण मौत को भी गले लगाना पड़ता है. ग्रामीणों ने सरकार पर इनके साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि जब देश में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है तो ऐसे दुर्गम स्थल में हमें बिना किसी मूलभूत सुविधा के सरकार के द्वारा घूंट- घूंट कर मरने के लिए छोड़ दिया गया है.
जिम्मेवार का कहना है
मामले को लेकर जब जिला के उपायुक्त सुशांत गौरव से बात की गई तो उन्होंने इसे चिंता का विषय बताते हुए जल्द ही केवल इसी गांव के लिए नहीं बल्कि इस तरह के विभिन्न गांव को जोड़ने के लिए पीएमजीएसवाई योजना से सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा बहाल करवाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस तरह की जानकारी मिलने पर उन्हें खुद काफी दुख होता है.
रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह, गुमला
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