रांची-झारखंड में शुक्रवार को एक बड़ी राजनीतिक घटना हुई.विधानसभा के 5 विधायकों ने एक फ्रंट बना लिया.इसमें आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो,लंबोदर महतो,निर्दलीय सरयू राय व अमित यादव के अलावा एनसीपी के कमलेश सिंह हैं .इसका नाम झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा रखा गया है.मोर्चा हो या फ्रंट ,इनका गठन खास मकसद से किया गया है.सामने से जो कारण बताए गये हैं वे सिर्फ यह समझा रहे हैं कि सदन के अंदर किसी मुद्दे पर चर्चा के लिए समय अधिक तय करवाना.विधानसभा में किसी मुद्दे पर चर्चा के लिए स्पीकर द्वारा समय निर्धारित किया जाता है.इस समय के हिसाब से राजनीतिक दल हो या कोई निर्दलीय,वे अपनी बात रखते है.मोर्चा की घोषणा के बाद सभी पांचों विधायकों ने यह कहा कि वे सदन में या फिर झारखंड के हित की बात रखने के लिए अधिक समय चाहते हैं.
आगे क्या कुछ हो सकता है,यह जानना जरूरी है-
झारखंड की राजनीति में ये पांच पांडव कुछ खास करने के लिए एकजुट हुए हैं.आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा के विधायक दल का नेता चुना गया है.बरकट्ठा से निर्दली विधायक अमित यादव को सचेतक मनाया गया है.निर्दलीय विधायक सरयू राय इस मोर्चा में सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं.उन्हें रणनीतिकार के रुप में रखा गया है.सरयू राय शासन और प्रशासनिक व्यवस्था के बड़े जानकार हैं.इनका अनुभव मोर्चा के मार्ग को आगे बढ़ाएगा.
क्या राजनीतिक महत्व है मोर्चा के गठन का -
झारखंड में पांच विधायकों का एक समूह कुछ भी कमाल कर सकता है.पांच की ताकत बहुत मायने रखती है.जानकार बताते हैं कि पांचों विधायक राजनीतिक मंच पर एक दबाव समूह के रूप में काम कर सकते हैं.फिलहाल झारखंड में इस साल यानी कुछ माह बाद ही राज्यसभा की दो सीटों का चुनाव होने वाला है.भाजपा के मुख्तार अब्बाश नकवी और महेश पोद्दार का कार्यकाल खत्म हो रहा है.भाजपा एक बार फिर अपने प्रत्याशी उतारेगी.जानकार बताते हैं कि यह जो फ्रंट बना है वह कहीं ना कहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज्यसभा जाने से रोकने के लिए बना है.रघुवर दास को पार्टी झारखंड से प्रत्याशी बना सकती है.ऐसे में सुदेश महतो के नेतृत्व वाले इस फ्रंट उन्हें सपोर्ट नहीं करेगा.सरयू राय और रघुवर दास के रिश्ते के जग जाहिर हैं.
राज्यसभा चुनाव में फ्रंट की भूमिका महत्वपूर्ण होगी-
2020 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को जीत दिलाने में फ्रंट के ये सभी सदस्य सहयोग दिए थे.यह समूह इस बार भी जिसे सपोर्ट कर देगा,वह जीत जाएगा,ऐसा राजनीतिक समझ रखने वालों का कहना है.इसके अलावा फ्रंट को रिझाने के लिए कोई भी प्रत्याशी कोशिश करेगा.झारखंड में इस बार का राज्यसभा चुनाव इसका गवाह बनेगा.
2024 के विधानसभा चुनाव तक क्या फ्रंट रहेगा-
अब यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या यह फ्रंट किसी राजनीतिक दल के रूप में स्वरूप लेगा.इस फ्रंट में दो दल के सदस्य हैं.सुदेश महतो और लबोदर महतो आजसू से हैं.ये अपनी पार्टी के हितों पर आंच नहीं आने देंगे.क्योंकि इनकी राजनीतिक विरासत इसी दल से जुड़ी है.कमलेश सिंह एनसीपी के एकलौते विधायक हैं.इनकी निष्ठा आजसू की तरह नहीं भी हो सकती है.पर,ऐसा करने की नौबत शायद नहींं आए.तात्कालिक तौर पर यह समझा जा सकता है कि यह फ्रंट एकदबाव समूह के रूप में अपनी भूमिका निभा सकता है.ऐसा जानकारों का मानना है.यह भी सच है कि फ्रंट अपनी समेकित आवाज को मुखर कर सकता है.आने वाले समय में अगर राजनीतिक उथल-पुथल का दृश्य बनता है तो यह मोर्चा फ्रंट फूट पर खेल सकता है.
Recent Comments