चाईबासा (CHAIBASA) :  झारखंड के सुदूर इलाकों में आजादी के इतने सालों बाद भी जीवन की आवश्यक सुविधाओं के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं. शिक्षा, चिकित्सा, सड़क जैसी सुविधाएं तो छोड़िए, पेयजल के लिए भी वे चुआ जैसे स्रोत पर निर्भर हैं. यहां की तस्वीरें देखने पर  सरकार के तमाम दावों की पोल खुल जाती है. बात हो रही है सारंडा इलाके के मनोहरपुर प्रखंड की. इस गांव में महज एक चापाकल था, वह भी साल भर से खराब पड़ा है. आज जब पेयजल को भी कई स्तरों पर फिल्टर करके हम और आप पी रहे, इस ग्रामीण इलाके के लोग एक चापाकल ठीक कराने के लिए गुहार लगा रहे. 

क्या है मामला

मनोहरपुर प्रखंड के पूर्वी पंचायत के बचमगुटु गांव के नीचे टोला के 25 परिवार को पीने के लिए साफ पानी तक उपलब्ध नहीं.  पिछले 30 सालों से खेतों के बीच चुआ बना कर लोग चुआ का गंदा पानी पी रहे हैं.  ग्रामीणों ने बताया कि  खेतों के बीच एक जल स्रोत में चुआ बना दिया है. इसका पानी पिछले 30 सालों से पी रहे हैं. कई बार ग्रामीण पानी की समस्या को लेकरके स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से मिले. असर इतना हुआ कि बचमगुटु गांव के नीचे टोला में एक चापाकल लगा दिया गया.   पर यह भी साल भर से खराब पड़ा है.

एक घंटा चलाओं तो एक गिलास पानी

ग्रामीणों की माने तो चापाकल से पानी निकालने के लिए एक घंटा नल को चलना पड़ता है. वहीं एक घंटा के बाद पानी निकलता भी है, तो वो लाल पानी पीने के लायक नहीं होता. इसके चलते आज भी बचमगुटु गांव के नीचे टोला के ग्रामीण खेत के बीच चुआ बना बना कर चुआ का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. बारिश के दिन में खेतों में पानी भर जाने से दूसरा टोला या दूसरा गांव पानी लाने के लिए जाना पड़ता है.

पीछे 30 सालों से पीते आ रहे चुआ का पानी

ग्रामीण सोमा हेम्ब्रोम का कहना है कि उनके गांव के लोग बीते 30 सालों से खेतों के बीच चुआ बना के पानी पी रहे हैं. इस संबंध में कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया. इसके बाद भी समस्या का कोई हल नहीं हुआ. वहीं ग्रामीण गीता हेम्ब्रोम का कहना है कि गांव में पानी की बहुत ज्यादा समस्या है. सरकारी अफसर सब जानकर भ्जी मौन हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आखिर कब तक गांव के लोगों को चुआ का दूषित पानी पीना पड़ेगा.  उनकी मांग है कि जल्द से जल्द खराब पड़े चापाकल को बनाया जाए. 

रिपोर्ट : अरविन्द कुमार, चाईबासा (मनोहरपुर)