जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की वरिष्ठ प्रशिक्षक, सुश्री अस्मिता दोरजी (38) सप्लिमेंटरी ऑक्सीजन का उपयोग किए बिना, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने निकलेंगी. अब तक, कोई भी भारतीय महिला सप्लिमेंटरी ऑक्सीजन का उपयोग किए बिना शिखर पर नहीं चढ़ पाई है.
3 अप्रैल, 2022 को नेपाल के लिए होगी रवाना
8000 मीटर से ऊपर हवा के अत्यधिक कम घनत्व और खतरनाक क्षेत्र, तेज हवाओं और अत्यधिक ठंड की स्थिति को देखते हुए यह प्रयास अनूठा होगा. दुनिया में बहुत कम लोग हैं जो बिना सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ पाए हैं. बहुत कम ऑक्सीजन उपलब्ध होने के कारण, पर्वतारोहियों को जीवित रहने और सुरक्षित लौटने के लिए कैंप -3, यानी 7100 मीटर से ऊपर सप्लिमेंटरी ऑक्सीजन लगाने की जरूरत पड़ती है. वह 3 अप्रैल, 2022 को नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगी. टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की ओर से जेआरडी स्पोर्ट्स कांपलेक्स में आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी गई.प्रेसवार्ता में बताया गया कि टीएसएएफ 2020 और 2021 में अस्मिता को माउंट एवरेस्ट पर भेजने की योजना बना रहा था, लेकिन, दुनिया भर में कोविड -19 महामारी के कारण अभियान को स्थगित करना पड़ा.
अस्मिता दोरजी के बारे में
अस्मिता दोरजी, मूल रूप से एक शेरपा हैं, वे नेपाल के एवरेस्ट क्षेत्र के नामचे बाज़ार के ऊपर एक छोटे से गांव थेसू में पैदा हुई थीं. पहाड़ की ऑक्सीजन उसके खून में दौड़ती है. वह 1989 में अपनी मां के निधन के बाद भारत आ गईं. उनके पिता 1984 के दौरान बछेंद्री पाल के शेरपा थे और बाद में एक अन्य अभियान में उनका निधन हो गया. उसके बाद उन्हें बछेंद्री पाल ने परिवार के सदस्य के रूप में पाला. TSAF ने अस्मिता को 2001 में अपना मूल पर्वतारोहण पाठ्यक्रम और बाद में 2003 में उन्नत पर्वतारोहण पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए सहयोग दिया. फिर, उन्हें बाहरी नेतृत्व पाठ्यक्रम और अभियानों के संचालन के लिए TSAF में प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था.
एवरेस्ट कार्यक्रम
अस्मिता 3 अप्रैल, 2022 को काठमांडू के लिए उड़ान भरेंगी, जिसके बाद वह 6 अप्रैल को एवरेस्ट बेस कैंप के लिए रवाना होंगी. इस यात्रा को पूरा करने में लगभग आठ दिन लगेंगे, जिसके बाद वह समायोजित करने के लिए 2-3 दिन बिताएंगी. इसके बाद वह लोबुचे ईस्ट पर चढ़ने का प्रयास करेंगी, जो उसी क्षेत्र में 6119 मीटर की ऊँचाई पर है. उसके बाद, वह लगभग 1 महीने के लिए कैम्प 3 तक अनुकूलन रोटेशन के लिए बेस कैम्प में वापस आ जाएंगी. फिर उन्हें अच्छे मौसम की प्रतीक्षा करनी होगी जो 15 से 25 मई '22 तक अपेक्षित है,यह एक ऐसा क्षण होगा जिसका वह बचपन से इंतजार कर रही है जब वह माउंट एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी होंगी.
रिपोर्ट: अन्नी अमृता, ब्यूरो हेड, जमशेदपुर

Recent Comments