देवघर (DEOGHAR) :  विपरीत परिस्थियों में भी अपनी हिम्मत नहीं हारने और दिमागी संतुलन बनाए रख अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की जान बचाने की जो मिसाल देवघर रोपवे के कर्मी पन्नालाल पंजियारा और गोविंद सिंह ने पेश की है, वह वाकई काबिले तारीफ है.  10 अप्रैल की शाम जब देवघर के त्रिकुट पहाड़ के रोपवे पर हादसा हुआ और अचानक से तकरीबन 60 लोग जहां तहां रोपवे केबिन में फंस गए, तब इन दो लोगों ने हिम्मत जुटाई और अपनी जान की परवाह किए बगैर पर्यटकों को सकुशल निकालने की कोशिश में जुट गए. ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही लोगों की जान बचाने की कवायद करने वाले  Real Life Heroes को लोगों की दुआएं मिल रहीं.

नन्हें मुन्नों के आर्तनाद पर दौड़ पड़े

घटना के समय की विकट परिस्थितियों को बयां करते हुए पन्नालाल पंजियारा और गोविन्द सिंह बताते हैं कि जब लोग केबिन से जान बचाने के लिए चिल्लाने लगे जिनमें छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे, तो वो अपने आप को रोक नहीं सके और उनलोगों को वहां से नीचे उतारने की ठान ली. किसी तरह जुगाड़ के सहारे ये दोनों जांबाज केबिन तक पहुंचने में कामयाब हो गए और फिर एक-एक कर केबिन में फंसे लोगों को रस्सी के सहारे नीचे उतारना शुरू कर दिया. अपनी सूझबूझ और हिम्मत का उदाहरण पेश करते हुए एक के बाद एक कर 6 से 7 केबिन में फंसे यात्रियों को सकुशल नीचे उतार लिया.

बिना संसाधन हौसले से चढ़ाई

 पन्नालाल बताते हैं कि इस बीच एनडीआरएफ की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी लेकिन उनके द्वारा ऑपरेशन शुरू करने से पहले कई लोगों को इनके द्वारा उतार लिया गया था. हालांकि बाद में सेना, वायुसेना, itbp और एनडीआरएफ की टीम द्वारा संयुक्त रूप से बांकी लोगों को एयर लिफ्ट कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. लेकिन साधन के अभाव में भी इन दो लोगों ने जिस बहादुरी और हिम्मत का उदाहरण पेश किया, उसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम होगी. इस विपरीत परिस्थिति में लोगों की जान बचाने और इनका हौसला बढ़ाने के लिए इन्हें पुरस्कृत कर प्रोत्साहित करने की जरूरत है.