दुमका (DUMKA) : कहते हैं भगवान जब एक अंग छिनता है तो उसके बदले कोई न कोई टैलेंट जरूर वरदान के रूप में मिल जाता है. तभी स्पेशल एबल्ड लोगों को दिव्यांग भी कहते हैं. वहीं सरकार कहती है कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं है. लेकिन उसी दिव्यांगजनों का सरकार कितना ख्याल रखती है, उसकी एक नमूना सामने आया है.
दिव्यांग छात्रों की शिक्षा में हो रही है कमी
मामला दुमका के हिजला का है जहां समाज कल्याण विभाग द्वारा मूक बधिर आवासीय विद्यालय संचालित है, और कक्षा एक से सातवीं तक की पढ़ाई होती है. 25 छात्रों का भविष्य संवारने के लिए शिक्षक के 6 पद स्वीकृत हैं, जिसमें मात्र एक स्थायी शिक्षक कार्यरत हैं और दो शिक्षक संविदा पर रखे गए हैं. इसके बावजूद भी छात्रों को जो शिक्षा मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है. कोरोना महामारी के कारण लगभग 2 वर्षों तक पढ़ाई बाधित रही लेकिन हालात सामान्य होने के बाद भी दिव्यांग छात्रों को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है. यहाँ के छात्र बोल भले ना पाए लेकिन इशारों में पूरी हकीकत को बयां कर देते हैं.
दिव्यांग छात्रों का कैसा होगा भविष्य
झारखंड में केवल रांची और दुमका में ही मूक बधिर आवासीय विद्यालय संचालित हैं. रांची में छात्रों की क्षमता 30 और दुमका में 25 है. इस तरह देखा जाए तो पूरे राज्य के मुक बधिर छात्रों में से महज 55 छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था वर्तमान में सरकार कर रही है जबकि ऐसे बच्चों की संख्या काफी अधिक है. दिव्यांग छात्रों के नामांकन के लिए अभिभावक परेशान रहते हैं लेकिन जिला स्तर से इसका समाधान संभव नहीं हो पाता है. इतना ही नहीं सरकार ऐसे छात्रों की 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की व्यवस्था कर रही है. उसके बाद इन छात्रों का भविष्य क्या होगा इस मुद्दे पर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका

Recent Comments