चाईबासा (CHAIBASA) : पीएचईडी मंत्री मिथलेश कुमार ठाकुर के गृह जिला के ही आदिवासी अगर पेयजल की समस्या से जूझेंगे तो बाकी जिले के लोग क्या उम्मीद करेंगे?  जहां धरती के गर्भ में अकूत संपदा है, उस क्षेत्र के आदिवासी जल के बूंद बूंद को तरस रहे हैं. बात हो रही है सारंडा के छोटानागरा पंचायत के छोटानागरा गांव की. यहां के बढुईया, जोजोपी, धर्मरगुटू, कंशगढ़, लोहार टोला के ग्रामीण इस भीषण गर्मी में पेयजल समस्या से बेहद ग्रसित हैं. 

पेयजल समस्या से ग्रसित निवासी

 छोटानागरा के मुंडा बिनोद बारीक ने बताया कि हमारे गांव के उक्त टोला में बाईहातु जल मीनार से पेयजल आपूर्ति सुविधा आज तक बहाल नहीं की जा सकी है.  इसके अलावा उक्त टोला में स्थित अधिकतर चापाकल खराब हैं.  इस वजह से ग्रामीण लगभग 1-2 किलोमीटर दूर सोना नदी एंव टुकुसेल नाला से पानी लाने को मजबूर हैं.  उन्होंने पीएचडी विभाग से मांग की है कि वह तमाम खराब चापाकलों को ठीक करवा कर चालू कराएं और बाईहातु जल मीनार से उक्त टोला के तमाम घरों में भी पानी पहुंचाने की व्यवस्था करवाएं.

दिन में एक बार ही होती है पानी की आपूर्ति

विनोद मुंडा ने कहा कि दोनों समय पेयजल आपूर्ति करने का प्रावधान होने के बावजूद भी जलमीनार से सुबह लगभग पौने एक घंटा तक ही दिन में एक बार ही पानी आपूर्ति कर पाते हैं.  जलमीनार के संचालक की मनमानी से छोटानागरा पंचायत के तमाम गांवों के ग्रामीण पेयजल की समस्या से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि पीएचडी विभाग (चाईबासा) के कार्यपालक अभियंता प्रभु दयाल मंडल ने सारंडा के छोटानागरा पंचायत अन्तर्गत डीएमएफटी फंड से निर्मित बाईहातु जल मीनार से पेयजल आपूर्ति छोटानागरा पंचायत के सभी गांवों के सभी टोला में दिन में दो बार सुनिश्चित करने का आदेश दिया है.  

अधिकारी ग्रामीणों को करते हैं गुमराह

जल मीनार के संचालक द्वारा एसडीओ समेत ग्रामीणों को हमेशा गुमराह करते हुए बताया जाता है कि एक मोटर व स्टार्टर खराब है जिस वजह से दो समय पानी नहीं दिया जा रहा है.  उक्त पंचायत के सात टोला में पाइप लाइन नहीं बिछे होने के कारण पानी नहीं पहुंच रहा है. अगर इस समस्या का समाधान यथाशीघ्र नहीं किया गया तो आने वाले समय में ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

 

रिपोर्ट : संदीप गुप्ता, गुवा/ चाईबासा