रांची(RANCHI) - भारतीय जनता पार्टी के नेता विधायक दल व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने उत्पाद विभाग के अधिकारियों पर साजिश के तहत छत्तीसगढ़ की कंपनी विशेष को टेंडर देने और राजस्व क्षति का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि उत्पाद विभाग की इकाई "झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के माध्यम से दिनांक 1 अप्रैल 2022 को "प्लेसमेंट एजेंसी के मनोनयन हेतु 10 जोन के लिए निविदा JSBCL / TENDER/2022-23/02 निकाली गई जिसे जमा करने की आखिरी तारीख 16 अप्रैल 2022 थी.उपरोक्त निविदा की कंडिका 9.5 के अनुसार प्लेसमेंट एजेंसी को वेतन मद में कुल खर्च का 3.90% अधिकतम मार्जिन (लाभांश) देने की बात अंकित थी इस टेंडर में कुल 10 जोन में से 9 जोन में निविदा पड़ने के बावजूद एक सोची-समझी साजिश के तहत कंपनी विशेष को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से विभाग के द्वारा टेंडर रद्द कर नया टेंडर निकाला गया है.नई निविदा की कडिका 9.3 में 3.90% अधिकतम मार्जिन (लाभांश) को बदलकर निविदा डालने वाली इकाइयों से न्यूनतम मार्जिन (लाभांश दर्शाने की बात अंकित है जिसके फलस्वरूप निम्नांकित "विशेष इकाइयाँ' जो पूर्व में उनके मनोनुकूल बातें नहीं रहने के कारण टेडर नहीं डाल सके थे, वो पुनः मन मुताबिक लाभाश पर टेंडर में भाग ले सकें.

1. A to Z Infra Services Ltd. 2. Prime One Workforce Pvt Ltd 3. Sumeet Facilities Ltd. 4. Eagle Hunter Solutions Ltd.

उपरोक्त चारों इकाइयों वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में प्लेसमेंट एजेंसी की सेवा दे रही है.विश्वास सूत्रों से ऐसी जानकारी मिल रही है कि उपरोक्त चारों ईकाइयों को काम दिला कर लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से विभाग के वरीय पदाधिकारी के द्वारा एक षडयंत्र के तहत पुराने निविदा को रद्द कर नई निविदा JSBCL/Tender / 2022-23/08 दिनांक 18 अप्रैल 2022 को प्रकाशित की है जिसमें पुराने निविदा की कडिका 9.5 में अंकित 3.90% मार्जिन को बदलकर निविदा डालने वाली इकाइयों को खुद न्यूनतम मार्जिन दर्शाने की बात कही गई हैं.

उत्पाद विभाग के पदाधिकारी एक सोची समझी साजिश के तहत केवल इन्हीं चारों विशेष इकाइयों' को मनमाना मार्जिन देकर पूरे झारखंड में प्लेसमेंट एजेंसी का काम देना चाह रही है जो भविष्य में राजस्व में नुकसान चहुँचाकर अपना गोरख धंधा करेगी. यह भी पता चल रहा है कि छत्तीसगढ़ के जिस CSMCL को परामर्शी बनाया गया है उसके एमडी के यहां फरवरी 2020 में आयकर विभाग का छापा पड़ा था.

विभाग के वरीय पदाधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि आखिर किस कारण और किसके दबाव में आकर "छत्तीसगढ़ माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए राजस्व के साथ ये खिलवाड़ किया जा रहा है. अगर किसी भी परिस्थिति में 2300 करोड़ रुपये से कम का राजस्व आता है (जो गिरना तय है) तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी.

 तथ्यों की समीक्षा कर उचित निर्णय लेने की कृपा की जाए जिससे राजस्व प्राप्ति में किसी भी तरह का कोई खिलवाड़ विभाग ना कर सके और भविष्य में यह कारगुजारी एक बड़े घोटाले के रूप में समाने न आए.