दुमका (DUMKA)-एक ऐसा फूल की जो देवाधिदेव महादेव को ना केवल प्रिय है, बल्कि शिव खुद उस फूल में विराजमान भी हैं. इस फूल को शिवलिंगी फूल कहा जाता है. इस फूल को लोग साक्षात शिव का प्रतीक मानते हैं. कोई इसे नागफणी का फूल भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन में इस फूल से भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।. ये कुदरत का करिश्मा नहीं तो और क्या है. इस फूल को गौर से देखेंगे तो इस फूल में साक्षात शिवलिंग और उसके उपर पंचमुखी नाग फन फैलाए हुए है. जिस किसी की भी नजर इस फूल पर पड़ती है वो बरबस इसकी ओर आकर्षित हो जाता है
शिवलिगीं फूल चढ़ाने से भोलनाथ होते हैं प्रसन्न
दुमका जिला के जरमुंडी स्थित बासुकीनाथ मंदिर से सटे दारूक वन में इस फूल के कई पेड हैं. लोग बडी श्रद्धा से इस फूल को तोडकर महादेव पर चढाते हैं. बरसात के मौसम में ही यह फूल खिलता है, इसलिए सावन महीने में इस फूल की महत्ता और बढ जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस फूल को चढाने से भोले बाबा प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. पुरानी मान्यता के अनुसार फूल के इस पेड़ को शिवालयों के पास लगाया जाता था। लेकिन अब यह फूल दुर्लभ हो गये हैं.
महादेव की बगिया भी कहते हैं दारूक वन को
बासुकीनाथ स्थित फौजदारी बाबा के मंदिर से सटे दारूक वन का अलग ही इतिहास है.कहा जाता है कि प्राचीन काल में दारूका नामक राक्षस-राक्षसी इस वन में निवास करते थे. दारूक ने एक शिव भक्त को अपने कब्जे में लेकर प्रताडित करना शुरु कर दिया. भक्त की पुकार सुनकर भोलेनाथ यहां प्रकट हुए और भक्त ने महादेव से यहां निवास करने का अनुरोध किया.तब से भक्त के अनुरोध के बाबा भोलेनाथ यहां रहने लगे तो राक्षस इस स्थल को छोडकर समुद्र में रहने चले गए. सदियों से इस वन को महादेव की बगिया कहा जाने लगा.
वनस्पति शास्त्र में शिवलिंगी का पेड औषधीय गुणों से युक्त माना गया है .जानकारों का मानना है कि यह पेड विलुप्ति के कगार पर है. जरूरत है इस पेड को संरक्षित करने की ताकि इस फूल के नाम की सार्थकता को आने वाली पीढी भी जान सके.
रिपोर्ट : पंचम झा,दुमका
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