दुमका (DUMKA ) दीपोत्सव अर्थात दीपावली, इसे दीपों का त्योहार भी कहते हैं. एक तरफ जहां चायनीज लाइट की चकाचौंध ने परंपरागत मिट्टी के दीपक के व्यवसाय को प्रभावित किया है, वहीं दुमका में एक खास का दीपक तैयार किया जा रहा है ,जिसकी जगमगाहट पर लोगों की नजर है. आपने चाक पर मिट्टी का दीपक बनाते हुए कुंभकारों को देखा होगा, लेकिन हम आपको सांचे में दीपक गढ़ते दिखा रहे हैं. पर्व त्योहार  के लिए यह दीपक बेहद खास माना जाता है. इसे हर्बल दीपक भी कह सकते हैं. यह दीपक  देसी गाय के गोबर, मुल्तानी मिट्टी, इमली पाउडर औऱ तिल के तेल से बनाया जा रहा है. दरअसल एकल श्रीहरी गोग्राम योजना के तहत दुमका जिला में संचालित 480 एकल विद्यालय क्षेत्र में देसी गाय के गोबर से दीपक का निर्माण कराया जा रहा है. जिले के तीन कार्यकर्ता नागपुर में इसका प्रशिक्षण लेकर वापस लौटे हैं, और गांव - गांव में प्रशिक्षण देकर इसका निर्माण कराया जा रहा है.

दीपावली में कुछ लोगों को ही यह दीपक मिल पाएगा

दीपक के साथ साथ लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा, धूप, अगरबत्ती, दंत मंजन सहित कई सामग्री के निर्माण की योजना है. एकल श्रीहरि गोग्राम योजना के जिला अध्यक्ष  मंगल का कहना है कि इस वर्ष दीपावली में कुछ लोगों को ही यह दीपक मिल पाएगा, क्योंकि मौसम की बेरुखी की वजह से दीया को सुखाने में परेशानी हो रही है.  देसी  गाय के गोबर से यह तैयार किया जाता है, और लोक आस्था का महापर्व छठ में शुद्धता का विशेष महत्व है.उनका मानना है इस योजना के सफल होने से एक तरफ जहां  देसी गाय पालन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ेगा वहीं लोग स्वाबलंबी भी बनेंगे. चाइनीज लाइट की चकाचौंध ने भले ही चाक की रफ्तार को धीमी कर दी हो, लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए की  देसी  गाय के गोबर से निर्मित यह दीपक सुदूरवर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों के जीवन में समृद्धि की रोशनी फैलाएगी. 

रिपोर्ट : पंचम झा, (दुमका)