धनबाद (DHANBAD ) के अभी के  झारखंड खनिज क्षेत्र विकास एवं प्राधिकार (झमाडा )और पहले के झरिया माइंस बोर्ड और झरिया वाटर बोर्ड में सिगरेट की पन्नी और कागज के चुटके पर किसने दी नौकरी,अब इन सब की जांच हो रही है. मर्ज बढ़ता गया, तर्ज पर जितनी तेजी से खोजबीन हो रही है, उससे कहीं अधिक तीव्र गति से गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. झमाडा के कुछ रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े कर्मचारी भी स्वीकार करते हैं कि,एक समय में कागज की एक चुटकी  पर भी बहाली हुई है. इस दौर को वह स्व. इमामुल खान का समय बताते हैं. वैसे झमाडा का अनियमितता ,गड़बड़ियां और विवाद से पुराना नाता रहा है. नियुक्ति से लेकर भुगतान तक में गड़बड़ियों की लगातार शिकायतें मिलती रहती है. झारखंड सरकार भी इस विभाग पर बहुत ध्यान नहीं देता. अभी हाल ही में झमाडा के एमडी का तबादला रांची कर दिया गया, लेकिन उनकी जगह पर किसी अधिकारी को नहीं भेजा गया. कई महीनों बाद नगर आयुक्त को प्रभार लेने का सरकारी आदेश आया, उसके बाद से नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार झमाडा के एमडी का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहें हैं.

18 साल से कम आयु में ही बहाल हो गए 43 कर्मचारी

ताजा मामला 18 साल से कम उम्र में ही नियुक्ति को लेकर उठा है. पता चलता है कि झमाडा में अभी कुल 43 कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी बहाली केवल 12 ,15,16 या 17 साल में ही कर ली गई है, जबकि नियुक्ति की न्यूनतम उम्र सीमा 18 साल है. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब स्थापना की हुई बैठक में कंप्यूटराइज्ड डेटा बेस के लिए संचिका में सेवा पुस्तिका की मिलान की गई. अब 43  कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है. एमडी के आदेश पर इन 43 कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर उम्र और रिटायरमेंट तक की पूरी कुंडली तैयार की जा रही है. जानकार सूत्रों की माने तो यह सभी बहाली 1976 से 1984 के बीच की गई है.

अवकाश ग्रहण करने वालों की भी बन रही है सूची

कुछ कर्मचारी तो रिटायर्ड भी हो चुके है. उनकी भी सूची बनाई जा रही है. बता दें कि बहाली की न्यूनतम उम्र  सीमा 18 वर्ष है, सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 साल निर्धारित है और कोई भी कर्मचारी अधिकतम 42 साल तक ही सेवा दे सकता है. झमाडा प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि 42 साल से अधिक दिनों तक सेवा देने वालों से राशि की वसूली की जाएगी. The news post से बात करते हुए एमडी सत्येंद्र कुमार ने भी इसकी पुष्टि की है.

कर्मचारी नेता भी हैं शामिल

ताज्जुब की बात तो यह है कि कर्मचारियों की मांगों का झंडा बुलंद करने वाले कर्मचारी नेता भी इस लिस्ट में शामिल हैं. कर्मचारी नेता ए के दुबे के मामले में खुलासा हुआ है कि जिस वक्त उनकी बहाली हुई है, उनकी आयु 15 साल से कुछ अधिक थी. इसी तरह का खुलासा चास सर्किल के वरीय सफाई इंस्पेक्टर विमलेश सिन्हा के सम्बन्ध में भी हुई है. रिकॉर्ड के अनुसार वह भी 15 साल में ही बहाल हुए थे. जामाडोबा में शोधक पद पर तैनात अनिल राम के बारे में पता चला है कि इनकी नौकरी केवल 12 साल में ही हुई है. नियुक्ति की तिथि 24 मई '1976 है. इसी प्रकार झमाडा सहायक कर्मचारी सह इंटक नेता अरविंद कुमार पर भी 18 साल से काम आयु में ही नौकरी पाने का आरोप है. टीएम इंद्रेश शुक्ला ने बताया कि नियम के तहत सभी सेवा पुस्तिका अपडेट की जा रही है. धनबाद  नगर आयुक्त सह झमाडा एमडी सतेंद्र कुमार ने बताया कि आरोपित 43 कर्मचारियों से नियुक्ति के समय जमा कराए गए प्रमाणपत्रों की कॉपी मांगी गई है. जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रहा है ,मामला रोचक होता जा रहा है. 

रिपोर्ट :अभिषेक कुमार सिंह (धनबाद )