रांची(RANCHI)-सेना जमीन घोटला में जेल में बंद बड़गाई सीआई के खिलाफ ईडी ने राज्य सरकार को एफआईआर की अनुशंसा की है. इसके पहले भी दो दो बार एसीबी की टीम उसके साथ पूछताछ कर चुकी है, लेकिन उसका बाल बांका भी नहीं हुआ, अपने राजनीतिक आकाओं के बल पर वह हर बार किसी ना किसी जुगाड़ के सहारे बाहर निकलता रहा और एसीबी की जांच भी एक सीमा से आगे नहीं बढ़ सकी. लेकिन अब सेना जमीन घोटाले में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा को भानुप्रताप के लिए बड़ा सदमा माना जा रहा है.  

तमाम आरोपों के बावजूद उसे बड़गाई अंचल से हटाया नहीं गया

यह उसकी पहुंच और पैरवी की ही धमक थी कि वह पिछले कई वर्षों से बड़गाई अंचल में जमा हुआ था, जबकि नियम कहता है कि किसी भी सरकारी कर्मी को एक ही कार्यालय में तीन वर्ष से अधिक नहीं रखा जा सकता.

ध्यान रहे कि बीते 13 अप्रैल को सेना जमीन घोटाले में ईडी ने सिमडेगा और रांची स्थित उसके आवास पर छापेमारी की थी. उक्त छापेमारी में ईडी को उसके आवास से कई दस्तावेज हाथ लगे थें. यह सभी दस्तावेज जमीनों से जुड़े थें, जिसे कायदे से अंचल कार्यालय में होने चाहिए था.

पैसे लेकर जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ का गंभीर आरोप

दावा किया जाता है कि भानुप्रताप पैसे का खेल खेलकर इन दस्तावेजों को जमीन दलालों को मुहैया करवाया करता था. साथ ही जरुरत के हिसाब से उसमें छेड़छाड़ भी किया जाता था. उसके आवास में जमीन दलालों की भीड़ जुटा करती थी. जमीन के सारे डील उसके आवास पर निपटाये जाते थें.

किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा एसीबी

यहां बता दें कि गुमला में तैनाती के दौरान भी उस पर भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप लगे थें, जिसकी जांच का जिम्मा एसीबी को सौंपा गया था. लेकिन लम्बी अवधि गुजरने के बाद भी एसीबी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा और भानुप्रताप की गाड़ी पूरी रफ्तार से आगे बढ़ती रही.