धनबाद(DHANBAD): रविवार की रात भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद धनबाद,चतरा और दुमका सहित झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ. धनबाद बोकारो की राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले पशुपतिनाथ सिंह अब चुनावी राजनीति से अलग हो गए हैं. उनकी जगह पर धनबाद लोकसभा से बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को भाजपा ने टिकट दिया है.
चतरा सीट से कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया है. फिर दुमका सीट से सुनील सोरेन को बदल दिया गया है और वहां शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है.दुमका से ही लड़ाने के लिए भाजपा सीता सोरेन को पार्टी में लाई थी. यानी रविवार को होली के ठीक पहले ढुल्लू महतो, कालीचरण सिंह और सीता सोरेन के समर्थकों ने होली के साथ-साथ दिवाली मनाई. धनबाद और चतरा लोकसभा सीट फंसा हुआ था. उम्मीदवार की घोषणा नहीं हो रही थी. लेकिन रविवार को उम्मीदवार की घोषणा हुई और पशुपतिनाथ सिंह के आड़े उनकी उम्र आ गई और वह चौथी बार धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से वंचित हो गए. पशुपतिनाथ सिंह जमीन से उठे नेता हैं. वार्ड पार्षद भी रहे .तीन बार विधायक रहे .तीसरी बार के सांसद हैं. लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें बदल दिया है और बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो पर भरोसा जताया है .यह अलग बात है कि बाघमारा विधानसभा क्षेत्र धनबाद लोकसभा क्षेत्र में नहीं आता है. यह गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है. मतलब ढुल्लू महतो को जीत के लिए सिंदरी,धनबाद, झरिया, बोकारो,निरसा और चंदन कियारी विधानसभा क्षेत्र को साधना होगा. झरिया को छोड़ सभी विधानसभा पर अभी भाजपा का कब्जा है.
ढुल्लू महतो चुनावी राजनीति में 2005 में प्रवेश किया. उस समय वह झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. फिर 2009 में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ा और पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो को पराजित किया .फिर 2014 में भाजपा में शामिल हो गए और चुनाव जीते. फिर 2019 में भाजपा के टिकट पर ही बाघमारा से विधायक चुने गए.हालांकि इस बार जीत का अंतर हजार से नीचे का रहा. इस मामले को लेकर पराजित उम्मीदवार जलेश्वर महतो ने उच्च न्यायालय में मुकदमा भी किया है, जो अभी लंबित है.सुनील सिंह चतरा के सिटिंग सांसद हैं.तो सुनील सोरेन दुमका के फिलहाल सांसद हैं.ऐसे में ढुल्लू महतो,कालीचरण सिंह और सीता सोरेन को राह के कील कांटे को हटाकर आगे बढ़ना चुनौती हो सकती है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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