दुमका (DUMKA): सावन का पावन महीना है और यह महीना शिव उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है. इस महीने में कांवर की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इन दिनों बिहार के सुल्तानगंज से लेकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ और दुमका के बासुकीनाथ धाम तक कांवर यात्रा के दौरान भक्ति के विविध रूप देखने को मिलता है.

बाल कांवर यात्रा में बच्चों के साथ उनकी मां ने बांधा शमां 

आज हम एक ऐसे कांवर यात्रा की बात कर रहे है जो दुमका की सड़कों पर देखने को मिला. मारवाड़ी युवा मंच की प्रेरणा शाखा द्वारा बाल कांवड़ यात्रा निकाली गई. शहर के छोटी ठाकुरवाड़ी मंदिर से दादी श्याम मंदिर तक यह यात्रा निकाली गई जिसमें काफी संख्या में बच्चे शामिल हुए. केसरिया वस्त्र पहने बच्चे कांधे पर कांवर लेकर बोल बम के जयकारे लगाते हुए मंजिल की ओर बढ़ रहे थे. भक्ति संगीत और डीजे की धुन पर बाल कांवरियों के साथ उनकी मां भी ठुमके लगा रही थीं.

बच्चों को अपनी सभ्यता और संस्कृति से जोड़ने का प्रयास है बाल कांवर यात्रा

इस बाबत मारवाड़ी युवा मंच की प्रेरणा शाखा की संरक्षिका रिंकू मोदी का कहना है कि यह तीसरा वर्ष है जब बाल कांवर यात्रा निकाली गई. उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चों का अधिकांश समय पढ़ाई में या फिर मोबाइल पर बीत रहा है. ऐसी स्थिति में बच्चे अपनी सभ्यता और संस्कृति से दूर होते जा रहे है. बच्चों को संस्कृति से जोड़ने का यह एक प्रयास है.

रिपोर्ट: पंचम झा